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मंगलवार, फ़रवरी 26, 2013

कहानी 2 ( प्रसाद )

  प्रसाद  जी का पहला कहानी संग्रह छाया १९१२ ई में प्रकाशित हुआ ।इस  में पांच कहानियाँ है । -- ग्राम , रसिया बालम , मदन मृणालिनी ,तानसेन । छाया का दूसरा भाग १९१८ में आया इस में छ: कहानियाँ है -- शरणागत , सिकंदर  की शपथ , चित्तौर का उद्धार अशोक , जहाँ नारा ,गुलाम । प्रसाद जी के अन्य कहानी संग्रह प्रतिध्वनि (१९२६),आकाशदीप १९२९, आँधी १९२९, पाँचवा संग्रह  १९३६ में इंद्रजाल नाम से आया । 
   एतिहासिक कहानियाँ -- आकाशदीप ,ममता ,स्वर्ग का खँडहर ,अशोक ,सिकंदर की पराजय ,चितोड़ का उद्धार ,जहाँनारा , चक्रवर्ती स्तम्भ ।

यथार्थवादी --- सलीम , कलावती की शिक्षा ,इंद्र जाल और गुंडा आदि । मनोवैज्ञानिक - प्रतिभा ,पापा की पराजय , परिवर्तन ,सुनहला ,साँप ,मधुआ ,संदेह । 

रोमांटिक या  स्वच्छन्दाता वादी -- रसिया बालम ,मदन मृणालिनी , बंजारा , आकाशदीप ,चन्दा ,एव पुरस्कार । 

भावात्मक कहानियाँ -- खँडहर की लिपि , उस पर का योगी , हिमालय का योगी , हिमालय का पथिक 

प्रतीकात्मक --- समुन्द्र संतरण प्रलाप , कला , पत्थर की पुकार वैरागी , ज्योतिष्मती। 

 इनकी पहली ग्रामा १९११ में प्रकाशित होती है । 

प्रसाद जी ने कुल ६९ कहानियाँ लिखी ।  
          

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