खंड क
दो० - राम बिरह सागर महँ भरत मगन मन होत।
बिप्र रूप धरि पवनसुत आइ गयउ जनु पोत॥ 1(क)॥
बैठे देखि कुसासन जटा मुकुट कृस गात॥
राम राम रघुपति जपत स्रवत नयन जलजात॥ 1(ख)॥
देखत हनूमान अति हरषेउ। पुलक गात लोचन जल बरषेउ॥
मन महँ बहुत भाँति सुख मानी। बोलेउ श्रवन सुधा सम बानी॥
जासु बिरहँ सोचहु दिन राती। रटहु निरंतर गुन गन पाँती॥
रघुकुल तिलक सुजन सुखदाता। आयउ कुसल देव मुनि त्राता॥
रिपु रन जीति सुजस सुर गावत। सीता सहित अनुज प्रभु आवत॥
सुनत बचन बिसरे सब दूखा। तृषावंत जिमि पाइ पियूषा॥
को तुम्ह तात कहाँ ते आए। मोहि परम प्रिय बचन सुनाए॥
मारुत सुत मैं कपि हनुमाना। नामु मोर सुनु कृपानिधाना॥
उपर्युक्त पदों के आधार प्रश्नों के उत्तर दे
प्र ;- राम के विरह समुद्र में भरत का मन डूब रहा था तब ब्राह्मण का रूप धर कर कौन आया ? १
प्र ;- प्रस्तुत पद के आधार भरत के रूप वर्णन करे ? १
प्र ;- राम किस कुल के थे ? १
प्र ;- भारत रात दिन किसका नाम जप रहे थे ?१
प्र ;- हनुमान जी अपना परिचय क्या दिया ? १
खंड ख
अर्द्धमागधी प्राकृत के अपभ्रंश से पूर्वी हिंदी निकली है। जैन लोगों के प्रसिद्ध तीर्थंकर महावीर ने इसी अर्द्धमागधी में अपने अनुगामियों को उपदेश दिया था। इसी से जैन लोग इस भाषा को बहुत पवित्र मानते हैं। उनके बहुत से ग्रंथ इसी भाषा में हैं। तुलसीदास ने अपनी रामायण इसी पूर्वी हिंदी में लिखा है। इसके तीन भेद हैं। अथवा यों कहिए कि पूर्वी हिंदी में तीन बोलियाँ शामिल हैं। अवधी, बघेली, और छत्तीसगढ़ी। इनमें से अवधी भाषा में बहुत कुछ लिखा गया है। मलिक मुहम्मद जायसी और तुलसीदास इस भाषा के सबसे अधिक प्रसिद्ध कवि हुए। जिसे ब्रज-भाषा कहते हैं। उसका मुकाबला, कविता की अगर और किसी भाषा ने किया है तो अवधी ही ने किया है। रीवाँ दरबार के कुछ कवियों ने बघेली भाषा में भी पुस्तकें लिखी हैं, पर अवधी भाषा के पुस्तक-समूह के सामने वे दाल में नमक के बराबर भी नहीं हैं। छत्तीसगढी में तो साहित्य का प्रायः अभाव ही समझना चाहिए।
प्र ; पूर्वी हिंदी कहाँ से निकली है ?
प्र ; पूर्वी हिंदी की कुल कितनी बोलियाँ है ?
सबसे अधिक कवि किस भाषा में हुए है , उसके प्रमुख कवियों के नाम बताये ?
प्र ; बघेली भाषा में पुस्तके कहाँ लिखी गयी है ?
प्र ; तुलसीदास ने रामायण किस भाषा में लिखी है ?
खंड- ग
उत्तराखण्ड की त्रासदी पर एक आलेख लिखे ?१५० शब्दों से कम न हो।
खंड - घ-
दहेज हत्या पर ३०० शब्दों का निबन्ध लिखे
दो० - राम बिरह सागर महँ भरत मगन मन होत।
बिप्र रूप धरि पवनसुत आइ गयउ जनु पोत॥ 1(क)॥
बैठे देखि कुसासन जटा मुकुट कृस गात॥
राम राम रघुपति जपत स्रवत नयन जलजात॥ 1(ख)॥
देखत हनूमान अति हरषेउ। पुलक गात लोचन जल बरषेउ॥
मन महँ बहुत भाँति सुख मानी। बोलेउ श्रवन सुधा सम बानी॥
जासु बिरहँ सोचहु दिन राती। रटहु निरंतर गुन गन पाँती॥
रघुकुल तिलक सुजन सुखदाता। आयउ कुसल देव मुनि त्राता॥
रिपु रन जीति सुजस सुर गावत। सीता सहित अनुज प्रभु आवत॥
सुनत बचन बिसरे सब दूखा। तृषावंत जिमि पाइ पियूषा॥
को तुम्ह तात कहाँ ते आए। मोहि परम प्रिय बचन सुनाए॥
मारुत सुत मैं कपि हनुमाना। नामु मोर सुनु कृपानिधाना॥
उपर्युक्त पदों के आधार प्रश्नों के उत्तर दे
प्र ;- राम के विरह समुद्र में भरत का मन डूब रहा था तब ब्राह्मण का रूप धर कर कौन आया ? १
प्र ;- प्रस्तुत पद के आधार भरत के रूप वर्णन करे ? १
प्र ;- राम किस कुल के थे ? १
प्र ;- भारत रात दिन किसका नाम जप रहे थे ?१
प्र ;- हनुमान जी अपना परिचय क्या दिया ? १
खंड ख
अर्द्धमागधी प्राकृत के अपभ्रंश से पूर्वी हिंदी निकली है। जैन लोगों के प्रसिद्ध तीर्थंकर महावीर ने इसी अर्द्धमागधी में अपने अनुगामियों को उपदेश दिया था। इसी से जैन लोग इस भाषा को बहुत पवित्र मानते हैं। उनके बहुत से ग्रंथ इसी भाषा में हैं। तुलसीदास ने अपनी रामायण इसी पूर्वी हिंदी में लिखा है। इसके तीन भेद हैं। अथवा यों कहिए कि पूर्वी हिंदी में तीन बोलियाँ शामिल हैं। अवधी, बघेली, और छत्तीसगढ़ी। इनमें से अवधी भाषा में बहुत कुछ लिखा गया है। मलिक मुहम्मद जायसी और तुलसीदास इस भाषा के सबसे अधिक प्रसिद्ध कवि हुए। जिसे ब्रज-भाषा कहते हैं। उसका मुकाबला, कविता की अगर और किसी भाषा ने किया है तो अवधी ही ने किया है। रीवाँ दरबार के कुछ कवियों ने बघेली भाषा में भी पुस्तकें लिखी हैं, पर अवधी भाषा के पुस्तक-समूह के सामने वे दाल में नमक के बराबर भी नहीं हैं। छत्तीसगढी में तो साहित्य का प्रायः अभाव ही समझना चाहिए।
प्र ; पूर्वी हिंदी कहाँ से निकली है ?
प्र ; पूर्वी हिंदी की कुल कितनी बोलियाँ है ?
सबसे अधिक कवि किस भाषा में हुए है , उसके प्रमुख कवियों के नाम बताये ?
प्र ; बघेली भाषा में पुस्तके कहाँ लिखी गयी है ?
प्र ; तुलसीदास ने रामायण किस भाषा में लिखी है ?
खंड- ग
उत्तराखण्ड की त्रासदी पर एक आलेख लिखे ?१५० शब्दों से कम न हो।
खंड - घ-
दहेज हत्या पर ३०० शब्दों का निबन्ध लिखे
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