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सोमवार, अप्रैल 13, 2015

कुछ अच्छे वचन

आग लगी थी. . मेरे घर को
किसी सच्चे
दोस्त ने पूछा -:"क्या बचा है. . ? ?".
मैने कहा -: "मैं बच गया हूँ. . ! !".
उसने गले लगाकर कहा -:
"फिर जला ही क्या है।"

एक बुजुर्ग से किसी ने पूछा "जब भगवान के भजन सुनने में बैठते है तो जल्दी नींद आ जाती है और जब कोई महफिल की दुनिया या कोई सगींत (D J) का कार्यक्रम हो तो सारी रात नींद नहीं आती"ऐसा क्यूँ...?
बुजुर्ग ने बड़ा ही खूबसूरत जवाब दिया:- "नींद हमेशा फूलों की सेज पर आती है
काँटो के बिस्तर पर नहीं...

अपनी कीमत उतनी रखिए,
जो अदा हो सके !
अगर अनमोल हो गए तो,
तन्हा हो जाओगे..!
खेल ताश का हो या ज़िन्दगी का,
अपना इक्का तभी दिखाना जब सामने
वाला बादशाह निकाले..

मिट्टी में ही होती है .............
.........पकड़ मजबूत पैरों की।..
संगमरमर पर अक्सर मैंने
           लोगो को फिसलते देखा है!!

कोई तो लिखता होगा इन कागज़ के ज़र्रों और इन पत्थरों का नसीब,
वरना यह मुमकिन नहीं कि कोई पत्थर ठोकर खाए,और कोई भगवान हो जाए....
कोई कागज़ रद्दी बन जाए तो कोई कागज़ गीता या कुरआन हो जाए...!

बोलने से पहले
लफ्ज इंसान के
गुलाम होते है...
लेकिन बोलने के
बाद इंसान लफ्ज
का गुलाम बन जाता
है....!

पक्के हुए फल की तीन पहचान होती है। एक तो वह नर्म हो जाता है दूसरे वह मीठा हो जाता है तीसरे उसका रंग बदल जाता है।

इसी तरह से परिपक्व व्यक्ति की भी तीन पहचान होती है पहली उसमें नम्रता होती है दूसरे उसकी वाणी मे मिठास होता है और तीसरे उसके चेहरे पर आत्मविश्वास का रंग होता है।

ख़ुदा तूने तो लाखों की तकदीर संवारी है...
मुझे दिलासा तो दे, के अब मेरी बारी है...!

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