है कली कली के होठों पर ,तेरी
खूबसूरती का
फ़साना |
मेरी जिन्दगी का सब कुछ, तेरा
सिर्फ़ मुस्करा ||
ये खुली खुली जुल्फे, सावन कि घटा जैसी|
ये झुकी झुकी निगाहें, सितम
गिराये बिजली जैसी ||
तेरे थिरकते कदमों मे बसंती बहार का खजाना|
है कली कली के होठों पर ,तेरी
खूबसूरती का
फ़साना ||
तेरा मस्ती -शरारत. भरी नजरें जैसे जामे साकी के|
मेरा दिल रो रहा है तू जा मेरी जिन्दगी संभल के||
तेरे गम में रो लूँगा क्योंकि खुशी
बर्दाश्त. नही करता जमाना |
है कली कली के होठों पर ,तेरी
खूबसूरती का
फ़साना ||
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें