इस मक्कारी से भरे जहां में
मुझे मक्कार बनकर जीना आता नहीं है
वो कला मुझे आती नहीं , जिसमें झूठ को सच सबित कर सके
केवल अपने लिए जीना आता नहीं
मुझे मक्कार बनकर जीना आता नहीं है
वो कला मुझे आती नहीं , जिसमें झूठ को सच सबित कर सके
केवल अपने लिए जीना आता नहीं
शायद मैं इसीलिए कतार मे सबसे पीछे हूं कि
मुझे होशियारी नही आती
मुझे होशियारी नही आती
लोग मुझे समझे ना समझे ,
मगर दोस्तों दगाबाजी मुझे आती नहीं ।
अपने लिए नहीं बस जीता हूँ केवल दोस्तों के लिए ।
वरना जीने की तमन्ना दिल में रह नहीं गयी हैं।
मगर दोस्तों दगाबाजी मुझे आती नहीं ।
अपने लिए नहीं बस जीता हूँ केवल दोस्तों के लिए ।
वरना जीने की तमन्ना दिल में रह नहीं गयी हैं।
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