संथानम समिति की शिफारिश( 1962- से 1964) पर 1964 में केंद्रीय सतर्कता आयोग का गठन किया
गया |वर्तमान में यह एक सांविधिक निकाय है परन्तु 2003 से पहले यह न सांविधिक निकाय
था न विधिक निकाय था |
केंद्रीय सतर्कता आयोग विधेयक संसद के दोनों सदनों से सत्र 2003 में
पारित हुआ और राष्ट्रपति जी कि मंजूरी 11 सितम्बर 2003 को मिली ,इसी दिन से केंद्रीय सतर्कता
आयोग एक सांविधिक निकाय बन गया |
2004 में भारत सरकार ने इसे नामित एजेंसी के रूप में अधिकृत किया जो
भष्ट्राचार की जाँच,भष्ट्राचार के खुलासे एवं अभियुक्त पर उपर्युक्त कार्यवाही की
अनुशंसा करेगी | अगर सरकार इसकी अनुशंसा को नहीं मानती है तो उसे इसका लिखित कारण
देना पड़ेगा |
इसका चरित्र न्यायिक है इसे दीवानी न्यायालय की शक्तियाँ प्राप्त है यह
केंद्र सरकार के किसी भी प्राधिकरण से कोई भी जानकारी मांग सकता है |
आयोग वर्ष भर में किये गये कार्यो के विविरण की रिपोर्ट राष्ट्रपति को
देता है जिसे राष्ट्रपति संसद के प्रत्येक सदन में प्रस्तुत करता है |
प्रारंभ में केंद्रीय सतर्कता आयोग एक सदस्यीय निकाय था परन्तु 25
अगस्त 1998 को राष्ट्रपति
द्वारा पारित एक
अध्यादेश से यह बहु सदस्यीय
निकाय बन गया |वर्तमान समय में इसके 3 सदस्य है |
आयोग के सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा तीन सदस्यीय समिति
की शिफारिश पर की जाती है |
इस समिति में प्रधानमंत्री( अध्यक्ष ) , गृहमंत्री( सदस्य ) और लोकसभा
में नेता प्रतिपक्ष ( सदस्य ) होगें |
आयोग के आयुक्त एवं सहायक
आयुक्तों का कार्यकाल 4 वर्ष या 65 वर्ष जों भी पहले रहेगा |
अपने कार्यकाल के बाद वें केंद्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी
भी पद के योग्य नहीं रहेगें |
वर्तमान में केंद्रीय सतर्कता आयुक्त
श्री शरद कुमार है ये राष्ट्रीय
जाँच एजेंसी(NIA) के अध्यक्ष भी रह चुके है |
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