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मंगलवार, मई 05, 2020

भारत का परमाणु कार्यक्रम 2

भारत   के परमाणु ऊर्जा  कार्यक्रम के जनक डा. जहागीर होमि  भाभा थे | इन्होने प्राकृतिक युरेनियम  को ईधन के रूप मे प्रयोग करते हूये थोरियम युरेनियम तक पहुचने का तीन स्तरीय  कार्यक्रम बनाया  था । क्योंकि  भारत में प्राकतिक युरेनियम के भंडार सिमित है , जबकि थोरियम का विश्व में सबसे विशाल भंडार भारत में है । जो विश्व के कुल भंडार का ३५ प्रतिशत(लगभग ७५००० टन ) है
  
 पर १९६९ में अमरिका की कंपनी जरनल कंपनी के प्रस्ताव पर भारत में पहला परमाणु सयंत्र स्थापित किया गया । इस के पूरी जीवन अवधि के लिए ईधन(संवर्धित युरेनियम ) की सप्लाई जरनल कंपनी के द्वारा किये जाने की शर्त थी । पर १९७४ परमाणु परिक्षण के बाद जनरल ने  ईधन(संवर्धित युरेनियम ) की सप्लाई बंद कर दी पर बाद में फ्रांस के माध्यम  से ईधन की सप्लाई पुन: चालू की गयी । इस रियेक्टर में शीतलक एवं मंदक के रूप में सामान्य जल प्रयोग में लाया गया । 

प्रथम चरण -- इस चरण में प्राकतिक युरेनियम को ईधन के रूप में प्रयोग में लाया गया । यह रियेक्टर कनाडा से प्राप्त तकनिकी के आधार पर कार्य करता है । भारत में इसे P H W R प्रकार का रियेक्टर कहते है । इस रियेक्टर में शीतलक एवं मंदक के रूप में भारी जल प्रयोग में लाया गया । रिएक्टर में U२३५ के विखंडन से ऊर्जा प्राप्त की गयी । U२३८ के तत्वान्तरण से Pu २३९ प्राप्त किया गया । जो अगले चरण का ईधन है । 

दूसरा चरण --- प्रथम चरण से प्राप्त  Pu २३९ का प्रयोग ईधन के रूप में किया गया । भारत में इस तकनीकी के आधार पर फ़ास्ट ब्रिडर टेस्ट रिएक्टर कहते है । यह फ्रांस के रैपासोड़ी रियेक्टर पर आधारित है । 

 इस रियेक्टर में न्यूट्रान की गति को मंद नहीं  किया जाता है ,इस कारण इसे फास्ट  रियेक्टर कहते है । ब्रीडर इस कारण कहते है क्योकि इस चरण में जितना ईधन प्रयोग में लाया जाता है उससे अधिक ईधन यह उत्त्पन करता है । इस रियेक्टर में शीतलक एवं मंदक के रूप में गलित सोडियम को  प्रयोग में लाया । इस   मेंप्लूटोनियम  युरेनियम का  कार्बाइड प्रयोग किया जाता है(mixed Plutonium Uranium Carbide fue) । इस में ईधन की बाहरी दीवाल पर Th२३२ का प्रयोग ब्लैकेट मटेरियल के रूप में प्रयोग किया जाता है।
इस रियेक्टर मेंPu २३९ से ऊर्जा प्राप्त होती है । U २३८ P २३९ में बदता है । Th २३२ U२३३के रूप में बदल जाता है ।U२३३ इस चरण का वह उत्पाद जो अगले चरण में ईधन के रूप में प्रयोग किया जाता है । 

तीसरा चरण --इस चरण का उद्देश्य  U२३३को इधन के रूप में प्रयोग कर अपनी ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करना तथा  अन्तर्राष्टीय स्तर पर एक परमाणु ऊर्जा से धनी देश के रूप में जगह पाना है । इस रियेक्टर टेक्नॉलजी का विकास  भारत के वैज्ञानिको ने किया है । इस तकनीकी पर आधारित रियेक्टर कामिनी रियेक्टर कलपक्म में स्थापित किया गया है । इस रिएक्टर में यूरेनियम २३३ तथा TH २३ २ का प्रयोग ईधन के रूप  में किया  जाता। यूरेनियम २३३ से ऊर्जा प्राप्त होती है तथा TH २३२ से  यूरेनियम २३३ प्राप्त  है ।  इस रियेक्टर में शीतलक एवं मंदक के रूप में सामान्य जल  को  प्रयोग में किया जाता है ।   

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