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बुधवार, जुलाई 29, 2020

संघर्ष आप की नीव है


सफलता और असफलता मानव के जीवन के महत्वपूर्ण अंग है | हम असफल केवल इस कारण से होते है क्योंकि जो लक्ष्य प्राप्त करना चाहते है उसके लिए हम तैयार नहीं होते है| चाहे वह तैयारी में कमी हमने जान बूझ कर की हो या अनजाने  में | क्योंकि ईश्वर बहुत ही पारखी होता है वह समय और व्यक्ति को देख कर ही उसे कोई दायित्व सौपता है | जब तक आप कच्चे है ईश्वर आप को परखता है जैसे ही आप मजबूत होगे वह आपकों वः दायित्व सौप देता है |हमारी  कहानी भी कुछ इसी  विषय पर केन्द्रित है |

एक नगर था उस में एक धनी व्यापारी था परन्तु समय के साथ उसका पूरा व्यापर डूब गया |जिस कारण वह हताश और निराश हो गया | एक दिन परेशान होकर वह जंगलमें गया और बहुत देरतक अकेले बैठा रहा। कुछ सोचकर भगवान को सम्बोधित करते हुए बोला-भगवन् ! मैं हार चुका हूँ, मुझे कोई एक वजह बताइये कि मैं क्यों हताश न होऊँ, मेरा सब कुछ खत्म हो चुका है। कृपया मेरी मदद करें। 

भगवान उस  व्यापारी की  बात सुन कर हँसे  और उन्होंने उसे जवाब दिया।  तुम थोड़े से संघर्ष से घबड़ा गयें मुझे देखो मैं ईश्वर होकर भी कितना धैर्य रखता हूँ |

व्यापारी हँसा और  बोलता है - क्यों मजाक कर रहें है आप  ईश्वर है आप के लिए कौन सा संघर्ष है |आप किस बात का धैर्य रखते है |

    ईश्वर बोलते है देखो इस जंगल को यहाँ के सभी पौधे मेरी रचना है  । जब मैंने घास और बाँस के बीज को लगाया तो मैंने इन दोनोंकी ही बहुत अच्छेसे देखभाल की। इनको बराबर पानी दिया, बराबर रोशनी दी" घास बहुत जल्दी बड़ी होने लगी और इसने धरतीको हरा-भरा कर दिया, लेकिन बाँसका बीज बड़ा नहीं हुआ। पर मैंने बाँसके लिये अपनी हिम्मत नहीं हारी। 

       दूसरे साल तक   घास बहुत ही  घनी हो गयी। उसपर झाड़ियाँ भी आने लगीं, लेकिन बाँस के बीज में कोई वृद्धि नहीं हुई, मैंने  फिर भी बाँस के बीज के लिये हिम्मत नहीं हारी तीसरे साल भी बाँस के बीज में कोई वृद्धि नहीं हुई, लेकिन मित्र मैंने फिर भी हिम्मत नहीं हारी। चौथे साल भी बाँस के बीज में कोई वृद्धि नहीं हुई, लेकिन मैं फिर भी लगा रहा" पाँच साल बाद, उस बाँस के बीज से एक छोटा सा पौधा अंकुरित हुआ घासकी तुलनामें यह बहुत छोटा था और कमजोर था, लेकिन केवल छः महीने बाद यह छोटा-सा पौधा १०० फीट लम्बा हो गया। मैंने इस बाँसकी जड़को विकसित करनेके लिये पाँच  सालका समय लगायाइन पाँच सालोंमें इसकी जड़  इतनी मजबूत हो गयी कि १०० फिट से ऊँचे बाँसको सम्भाल सके। 

    जब भी आपको जीवनमें संघर्ष करना पड़े तो समझिये कि आपकी जड़ मजबूत हो रही है। आपका संघर्ष आपको मजबूत बना रहा है, जिससे कि आप आने वाले कलको सबसे बेहतरीन बना सकों । मैंने बाँसके सन्दर्भमें हार नहीं मानी। मैं तुम्हारे विषयमें भी हार नहीं मानूँगा । किसी दूसरेसे अपनी तुलना मत करो। घास और बाँस दोनोंके बड़े होने का समय अलग अलग है, दोनों का उद्देश्य अलग-अलग है। एक दिन  तुम्हारा भी समय आयेगा। तुम भी एक दिन बाँसके पेड़की तरह आसमान छुओगे। मैंने हिम्मत नहीं हारी, तुम भी मत हारो। अपनी जिन्दगी में संघर्ष से मत घबराओ, यही संघर्ष हमारी सफलता की जड़ोंको मजबूत करेगा। हमेशा अपने छोटे-छोटे प्रयासोंको जारी रखें, सफलता एक-न-एक दिन अवश्य मिलेगी।

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