•कर्मधारय
समास --
इसके
दोनों पद प्रधान होते है| यह पद उपमान-उपमेय,विशेषण-विशेष्य,विशेषण-विशेषण
महाकवि- महान है जो कवि,
महादेव- महान है जो देव
अधमरा-आधा है जो मरा
चंद्रमुख- चंद्रमा के समान मुंख
लौहपुरुष- लोहे के समान पुरूष
बहुव्रीहि समास--इस समास में अन्य पद प्रधान होता है |दोनों पदों के योग से किसी अन्य पद का बोध होता है|
•लम्बोदर-
लम्बा है जिसका उदर( गणेश जी )
•जलज-
जल में जन्म लेने वाला ( कमल )
•पीताम्बर-
पीत है अम्बर जिसका( श्रीकृष्ण)
•द्विगु
समास-
पहला
पद संख्या वाचक होता है और अंतिम पद संज्ञा होता है |
•
त्रिफला-तीन फलों का समाहार
•त्रिकोण-
तीन कोण
•पंचपाल-
पांच पालों का समाहार
•चतुर्युग-
चार युगों का समाहार
•दोपहर-
दो पहरों का समाहार
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