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शनिवार, जुलाई 11, 2020

कर्मधारय समास ,बहुव्रीहि समास,द्विगु समास

कर्मधारय समास -- 
इसके दोनों पद प्रधान होते है| यह पद उपमान-उपमेय,विशेषण-विशेष्य,विशेषण-विशेषण

महाकवि- महान है जो कवि,

महादेव- महान है जो देव

अधमरा-आधा है जो मरा

चंद्रमुख- चंद्रमा के समान मुंख

लौहपुरुष- लोहे के  समान पुरूष 

बहुव्रीहि समास--इस समास में अन्य पद प्रधान होता है |दोनों पदों के योग से किसी अन्य पद का बोध होता है|

लम्बोदर- लम्बा है जिसका उदर( गणेश जी )
जलज- जल में जन्म लेने वाला ( कमल )
पीताम्बर- पीत है अम्बर जिसका( श्रीकृष्ण)

द्विगु समास-
पहला पद संख्या वाचक होता है और अंतिम पद संज्ञा होता है |
त्रिफला-तीन फलों का समाहार
त्रिकोण- तीन कोण
पंचपाल- पांच पालों का समाहार
चतुर्युग- चार युगों का समाहार
दोपहर- दो पहरों का समाहार

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