रविवार, मई 03, 2015

निराशा न हो

सफलता या असफलता  दोनो  एक ही सिक्के के दो पहलू है।अगर आप सफल है तो आप अच्छे है और असफल होने पर आप खराब है या सब कुछ खत्म होगया यह सोचना गलत है क्योंकि जब आप असफल होते है तो इसका पहला अर्थ है आप सम्पूर्ण मन से प्रयास नहीं किया था, दूसरा  प्रकृति ने आप को एक और अवसर दिया है अच्छा  करने  का ।  हो सकता है आप का रास्ता गलत हो आपकों  ईश्वर ने किसी अन्य कार्य के लिए भेजा हो आप अन्य कार्य कर रहें हो क्योंकि हर. व्यक्ति का यहाँ आने का  कारण निश्चित है अगर वह उस कारण को पहचान ले तो सफलता उसके चरण चूमती है।नही पहचानते तो ईश्वर एक मौका देता है कि तू अपने लक्ष्य को पहचान ।तेरा कहीऔर है।

चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना!

जाग तुझको दूर जाना!

अचल हिमगिरि के हॄदय में आज चाहे कम्प हो ले!

या प्रलय के आँसुओं में मौन अलसित व्योम रो ले;

आज पी आलोक को ड़ोले तिमिर की घोर छाया

जाग या विद्युत शिखाओं में निठुर तूफान बोले!

पर तुझे है नाश पथ पर चिन्ह अपने छोड़ आना!

जाग तुझको दूर जाना!

बाँध लेंगे क्या तुझे यह मोम के बंधन सजीले?

पंथ की बाधा बनेंगे तितलियों के पर रंगीले?

विश्व का क्रंदन भुला देगी मधुप की मधुर गुनगुन,

क्या डुबो देंगे तुझे यह फूल दे दल ओस गीले?

तू न अपनी छाँह को अपने लिये कारा बनाना!

जाग तुझको दूर जाना!

वज्र का उर एक छोटे अश्रु कण में धो गलाया,

दे किसे जीवन-सुधा दो घँट मदिरा माँग लाया!

सो गई आँधी मलय की बात का उपधान ले क्या?

विश्व का अभिशाप क्या अब नींद बनकर पास

आया?

अमरता सुत चाहता क्यों मृत्यु को उर में बसाना?

जाग तुझको दूर जाना!

कह न ठंढी साँस में अब भूल वह जलती कहानी,

आग हो उर में तभी दृग में सजेगा आज पानी;

हार भी तेरी बनेगी माननी जय की पताका,

राख क्षणिक पतंग की है अमर दीपक की निशानी!

है तुझे अंगार-शय्या पर मृदुल कलियां बिछाना!

जाग तुझको दूर जाना!


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