दंतिदुर्ग-- राष्ट्रकूट राज्य की स्थापना दंतिदुर्ग ने की थी |
इसने 752 ई. में चालुक्य शासक कीर्ति वर्मन को परास्त कर
राष्ट्रकूट वंश की नीव रखी |दंतिदुर्ग आधुनिक शोलपुर के निकट मान्यखेट को अपनी राजधानी
बनाया| दंतिदुर्ग( दंतिवर्मन ने )उज्जयनी में हिरण्यगर्भ यज्ञ किया |
राष्ट्रकूट राजा कृष्ण प्रथम( 756- 774) ने एलोरा का प्रसिद्ध शिव मंदिर का निर्माण
करवाया | इसने बादामी के चालुक्यो को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया और वेंगी के चालुक्यों एवं मैसूर के गंगो को अपने अधीन कर
लिया |
ध्रुव धारावर्ष ( 780- 793)- इसने उत्तर भारत एवं गुजरात के
अनेक भागों पर कब्जा कर लिया | इसके लिए इसने त्रिसत्तात्मक सघर्ष किया और
प्रतिहार नरेश वत्सराज और पाल शासक धर्मपाल को परास्त किया |ध्रुव ने अपने राज
चिन्ह पर गंगा और यमुना को अंकित किया |
•गोविंद तृतीय (793 -814ई )--ने कन्नौज के नागभट्ट पर सफल के
आक्रमण किया |इसने केरल,पांडय पल्लव तथा
गंग राजाओं के संघ दमन
किया | लंका के राजा को बंदी बना कर हलापुर लाया | संजन ताम्र पत्र के अनुसार इसने
हिमालय तक शासन किया था |इसने मालव कोशल ,कलिंग को भी जीता था |इसने पाल शासक
धर्मपाल एवं प्रतिहार शासक नागभट्ट को भी पराजित किया |
•अमोघ वर्ष(814-876) --
गोविन्द तृतीय का
पुत्र था |
•इसके
शासन काल कोई प्रमुख सैन्य उपलब्धि नही रही उसका कारण था कि यह साहित्य एवं कला
प्रेमी होना |
•इसने
अनेक कवियों को संरक्षण दिया जिसमें प्रमुख थे आदि पूरण के लेखक जिन सेन और
गणितसार संग्रह के लेखक महावीराचार्य |
•यह
जैन मत को मानने वाला था |
•परन्तु
संजन ताम्र पत्र के अनुसार इसने माता महालक्ष्मी को अपने हाथ की उग़ली चढ़ा दी थी |
•माल्यखेद
नामक नगर बसाया
• उसने कन्नड़
भाषा के प्रसिद्ध ग्रंथ कविराज मार्ग की रचना की /अमोघ वर्ष ने 68 वर्षों तक
शासन किया |
•अमोघ वर्ष के पौत्र इंद्र तृतीय ने
915 में महिपाल को परास्त किया
•अलमसूदी के अनुसार राष्ट्रकूट राजा
बलहारा या वल्लभराज भारत का सबसे प्रतापी रजा था |
•अमोघ वर्ष प्रथम की पुत्री
चन्द्रोबलाब्बे ने कुछ काल तक रायचूर दोआब पर शासन किया |
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