गुरुवार, नवंबर 07, 2019

राष्ट्रकूट राजवंश

दंतिदुर्ग--  राष्ट्रकूट राज्य की स्थापना दंतिदुर्ग ने की थी |
 इसने 752 ई. में चालुक्य शासक कीर्ति वर्मन  को परास्त कर राष्ट्रकूट वंश की नीव रखी |दंतिदुर्ग आधुनिक शोलपुर के निकट मान्यखेट को अपनी राजधानी बनाया|  दंतिदुर्ग( दंतिवर्मन ने )उज्जयनी में हिरण्यगर्भ यज्ञ किया |

राष्ट्रकूट राजा कृष्ण प्रथम( 756- 774)  ने एलोरा का प्रसिद्ध शिव मंदिर का निर्माण करवाया | इसने बादामी के चालुक्यो को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया और वेंगी के  चालुक्यों एवं मैसूर के गंगो को अपने अधीन कर लिया |
ध्रुव धारावर्ष  ( 780- 793)- इसने उत्तर भारत एवं गुजरात के अनेक भागों पर कब्जा कर लिया | इसके लिए इसने त्रिसत्तात्मक सघर्ष किया और प्रतिहार नरेश वत्सराज और पाल शासक धर्मपाल को परास्त किया |ध्रुव ने अपने राज चिन्ह पर गंगा और यमुना को अंकित किया |

गोविंद तृतीय (793 -814ई )--ने कन्नौज के नागभट्ट पर सफल के आक्रमण किया |इसने केरल,पांडय  पल्लव तथा गंग राजाओं के संघ  दमन किया | लंका के  राजा को बंदी बना कर हलापुर लाया | संजन ताम्र पत्र के अनुसार इसने हिमालय तक शासन किया था |इसने मालव कोशल ,कलिंग को भी जीता था |इसने पाल शासक धर्मपाल एवं प्रतिहार शासक नागभट्ट को भी पराजित किया |
अमोघ वर्ष(814-876)  -- गोविन्द तृतीय का पुत्र था |
इसके शासन काल कोई प्रमुख सैन्य उपलब्धि नही रही उसका कारण था कि यह साहित्य एवं कला प्रेमी होना |
इसने अनेक कवियों को संरक्षण दिया जिसमें प्रमुख थे आदि पूरण के लेखक जिन सेन और गणितसार संग्रह के लेखक महावीराचार्य |
यह जैन मत को मानने वाला था |
परन्तु संजन ताम्र पत्र के अनुसार इसने  माता महालक्ष्मी को अपने हाथ की उग़ली चढ़ा दी थी |
माल्यखेद नामक नगर बसाया
  उसने कन्नड़ भाषा के प्रसिद्ध ग्रंथ कविराज मार्ग की रचना की /अमोघ वर्ष ने 68 वर्षों तक शासन किया |
अमोघ वर्ष के पौत्र इंद्र तृतीय ने 915 में महिपाल को परास्त किया
अलमसूदी के अनुसार राष्ट्रकूट राजा बलहारा या वल्लभराज भारत का सबसे प्रतापी रजा था |
अमोघ वर्ष प्रथम की पुत्री चन्द्रोबलाब्बे ने कुछ काल तक रायचूर  दोआब पर शासन किया |

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