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शनिवार, अप्रैल 18, 2020

जनसंचार 1


1.संचार -संचार चर धातु से बना है | जिसका अर्थ है चलना या एक जगह से दूसरी जगह पहुँचना |

2 संचार के मूल तत्वो पर विचार करे |---
क-संचारक या स्रोत (संदेश  देने के बारे में सोचना )
ख-सन्देश का कूटीकरण (एनकोडींग-संदेश भेजने वाले के द्वारा  भाषाबद्ध कर संदेश को भेजना  )
ग-सन्देश का कूटवाचन|(डीकोडींग या भाषा ग्रहण करना और संदेश प्राप्त द्वारा संदेश का अर्थ समझना  )
घ-प्राप्त कर्ता (सन्देश प्राप्त करता   
3 संचार के प्रकार_
अ-- सांकेतिक संचार जब संचार संकेत के द्वारा हो|  इस  में मनुष्य अपने अंगो या अन्य उपकरणों का प्रयोग करता है|
ब-- मैखिक संचार जब व्यक्ति बोल कर कोई संकेत पहुचाये | भाषण ,बातचीत
समूह संचार जब कोई पूरा समूह बात हो |इसमें  सामूहिक रूप संचरा होता है

जन संचार जब किसी समूह के साथ संचार हम प्रत्यक्ष  न कर के किसी यांत्रिक माध्यम से करे तो वहीं  जन संचार है | जन संचार के माध्यम सिनेमा , रेडियो ,दूरदर्शन सिनेमा।
जनसंचार की विशेषताएँ:
    1. इसमें फ़ीडबैक तुरंत प्राप्त नहीं होता।
    2. इसके संदेशों की प्रकृति सार्वजनिक होती है।
      संचारक और प्राप्तकर्त्ता के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता।
    3. जनसंचार के लिये एक औपाचारिक संगठन की आवश्यकता होती है।
    4. इसमें ढ़ेर सारे द्वारपाल काम करते
जनसंचार के प्रमुख कार्य:

सूचना देना = लोगो को देश और दुनिया में हो रही घटनाओं के बारे में सूचित किया जाता है |
शिक्षित करना = आज के समय में  रेडियों टेलिविज़न शिक्षा का एक सशक्त माध्यम बन कर उभरा है 
मनोरंजन करना= फिल्में ,धरावाहिक एवं अन्य कार्यक्रम हमारा मनोरंजन करते है |
निगरानी करना = समाज में हो रहें बदलावों पर निगरानी रखने का कार्य भी जनसंचार के माध्यम करते है |      
एजेंडा तय करना= किसी विषय पर राय बनाना 
विचार-विमर्श के लिये मंच उपलब्ध कराना

 प्रिंट माध्यम (मुद्रित माध्यम)-
  जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में सबसे पुराना माध्यम है ।
   आधुनिक  छापाखाने का आविष्कार जर्मनी के गुटेनबर्ग ने किया।
  भारत में पहला छापाखाना सन १५५६ में गोवा में खुला, इसे ईसाई मिशनरियों ने धर्म-प्रचार  की पुस्तकें छापने के लिए खोला था
   मुद्रित माध्यमों के अन्तर्गत अखबार, पत्रिकाएँ, पुस्तकें आदि आती हैं ।     
          मुद्रित माध्यम की विशेषताएँ:

     छपे हुए शब्दों में स्थायित्व होता है, इन्हें सुविधा अनुसार किसी भी प्रकार से पढा़ जा सकता है।
       यह  माध्यम लिखित भाषा का विस्तार है।
       यह चिंतन, विचार- विश्लेषण का माध्यम है।
        मुद्रित माध्यम की सीमाएँ 
      निरक्षरों के लिए मुद्रित माध्यम किसी काम के नहीं होते।
        ये तुरंत घटी घटनाओं को संचालित नहीं कर सकते।
        इसमें स्पेस तथा शब्द सीमा का ध्यान रखना पड़ता है।
        इसमें एक बार समाचार छप जाने के बाद अशुद्धि-सुधार नहीं किया जा सकता।

मुद्रित माध्यमों में लेखन के लिए ध्यान रखने योग्य बातें:

        भाषागत शुद्धता का ध्यान रखा जाना चाहिए।
        प्रचलित भाषा का प्रयोग किया जाए।
        समय, शब्द व स्थान की सीमा का ध्यान रखा जाना चाहिए।
        लेखन में तारतम्यता एवं सहज प्रवाह होना चाहिए।

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