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रविवार, अप्रैल 19, 2020

भाववाचक कृदंत -प्रत्यय

प्रत्यय उस शब्द के  अंश  को कहते है जो किसी धातु के पीछे लग कर कोई नया शब्द बनता है|जैसे पाठक शब्द में क के स्थान पर इका प्रत्यय लगाने पर नया शब्द पाठिका शब्द बन जाता है |प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना है प्रति(साथ में)+अय(चलने वाला)

    प्रत्यय उस शब्द के  अंश  को कहते है जो किसी धातु के पीछे लग कर कोई नया शब्द बनता है|जैसे पाठक शब्द में क के स्थान पर इका प्रत्यय लगाने पर नया शब्द पाठिका शब्द बन जाता है |प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना है प्रति(साथ में)+अय(चलने वाला)  
   संस्कृत के प्रत्यय

कृदंत प्रत्यय के भेद
भाववाचक कृदंत –क्रिया का भाव  बताने वाले शब्द को भाववाचक कृदंत कहते है|
अ- कम-काम,बुध-बोध/भुज-भोज/भू-भाव/लिप्-लेप
अन-  अश-अनशन/ग्रह-ग्रहण/चि-चयन/तुष-तोषण
आ-पूज-पूजा/क्षम-क्षमा/दीक्ष-दीक्षा/दिश-दिशा/उष-उषा  
अना-धृ-धारण/गण-गणन/यत-यातना/वंद-वंदना
न –भज-भग्न/यत्-यत्न/ली-लीन/प्रश्-प्रश्न/
नि-धून-धुनि/धाव्-धावानि/जा-जानि
या- कृ-क्रिया/छा-छाया /
ति-आकृत-आकृति/जात-जाति/पुर्त-पूर्ति/नत-नति 

       

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