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मंगलवार, मई 05, 2020

श्लेष अलंकार


श्लेष का अर्थ है चिपकना |
अत:  जहाँ एक शब्द के एक से अधिक अर्थ निकलें,वहाँ श्लेष अलंकार होता है |
चरण धरत चिंता करत,चितवत चारहूँ ओर |
सुबरन को खोजत फिरत,कवि,व्यभिचारी चोर |

जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय |
बारे उजियारो करै, बढ़े अंधेरो होय || 
§चिरजीवौ जोरी जुरे, क्यों न सनेह गंभीर |
को घटि या वृषभानुजा,वे हलधर के वीर |


§मधुबन की छाती को देखो |
§सूखी कितनी इसकी कलियाँ |

§मेरी भव-बाधा हरौ राधा नागरि सोय |
 जा तन की झाई परै स्यामु हरित दुति होय ||


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