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रविवार, जुलाई 12, 2020

कारक(सम्प्रदान,अपादान,संबंध कारक, अधिकरण कारक ,और संबोधन कारक )

कारक

सम्प्रदान-

देना अथवा प्रदान करनेवाले – परसर्ग को,के लिए


राम नहाने को(के लिए) गया|

माँ बच्चे को(के लिए)मिठाई देती है |

अभिराम श्याम के लिए आम लाया |

अपादान कारक- किसी से अलग होने के अर्थ में

परसर्ग –से | जब कोई वस्तु किसी से हमेशा से अलग न हो 

पेड़ से पत्ते गिरते है|

हिमालय से गंगा निकलते है |

घुड़सवार घोड़े से गिरता है  


सम्बन्ध कारक- जब एक वस्तु का दूसरी वस्तु से संबंध ज्ञात हो |इसके परसर्ग- का,के,की रा,री,रे है |

 यान की गति तीव्र है|

कमल की किताब मेज पर है |

अधिकरण कारक- क्रिया या आधार को सूचित करनेवाली संज्ञा या सर्वनाम के स्वरुप को अधिकरण कारक कहते है |इसके विभक्ति चिन्ह में,पै,पर है |

सिंह वन में रहता है|

घर पर माँ है |

सड़क पर गाड़ी खड़ी है |

संबोधन कारक-संज्ञा के जिस रूप से किसी को बुलाने या पुकारने के लिए प्रयोग हो |
हे भगवान! अब क्या होगा
ख़बरदार!
लड़के!जरा इधर आना

अरे!तुम घर नहीं गये | 



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