शुक्रवार, सितंबर 11, 2020

हिन्दी भाषा से संबंधित सूक्तियाँ

 

 राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की एकता और उन्नति  के लिए आवश्यक है |                                               महात्मा गाँधी

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"हिंदी का काम देश का काम है, समूचे राष्ट्रनिर्माण का प्रश्न है।" - बाबूराम सक्सेना।

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भाषा की सरलता,सहजता और शलीनता अभिव्यक्ति को सार्थकता प्रदान करती है | हिन्दी ने इन सभी पहलुओं को खूबसूरती से समाहित किया है        नरेंद्र मोदी

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"अकबर से लेकर औरंगजेब तक मुगलों ने जिस देशभाषा का स्वागत किया वह ब्रजभाषा थी।" -रामचंद्र शुक्ल।

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भारतीय सभ्यता की अविरल धारा प्रमुख रूप से हिन्दी भाषा से जीवंत  तथा सुरक्षित रह पाई है |                                          अमित शाह (गृहमंत्री )

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"भारतीय साहित्य और संस्कृति को हिंदी की देन बड़ी महत्त्वपूर्ण है।" - सम्पूर्णानन्द।

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"राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार                 अवनींद्रकुमार विद्यालंकार।

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हिन्दी भाषा एक  ऐसी सार्वजनिक भाषा है जिसे बिना भेद-भाव प्रत्येक भारतीय ग्रहण कर  सकता हैं |                                         मदनमोहन मालवीय 

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"राष्ट्रीय एकता की कड़ी हिंदी ही जोड़ सकती है।" - बालकृष्ण शर्मा नवीन।_________________________________________________________

इस विशाल प्रदेश के हर भाग में शिक्षित-अशिक्षित, नागरिक और ग्रामीण सभी हिंदी को समझते हैं।" - राहुल सांकृत्यायन।

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"हिंदी विश्व की महान भाषा है।" - राहुल सांकृत्यायन।

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"समस्त आर्यावर्त या ठेठ हिंदुस्तान की राष्ट्र तथा शिष्ट भाषा हिंदी या हिंदुस्तानी है।" 

-सर जार्ज ग्रियर्सन।

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हिन्दी राष्ट्रीयता के मूल को सींचती है और उसे  दृढ करती -राजऋषि पुरूषोत्तम दास टंडन  

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 हिन्दी हमारे राष्ट्र   की  अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत है - सुमित्रानंदन   पंत

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 हिंदी हमारे देश और भाषा की प्रभावशाली विरासत है।" - माखनलाल चतुर्वेदी। 

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"भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है।" - टी. माधवराव।

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   हिन्दी    राष्ट्रीय एकता का  प्रतीक है |                                     डॉ   सम्पूर्णानन्द    

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भारतीय भाषाएँ नदियाँ है और  हिन्दी महानदी                     रवीन्द्रनाथ नाथ ठाकुर 

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हिन्दी जैसी सरल भाषा दूसरी  नहीं है                                        मौलाना हसरत मोहानी

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हिन्दी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है स्वामी दयानन्द सरस्वती 

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"भारतेंदु जी  और द्विवेदी  ने हिंदी की जड़ पाताल तक पंहुचा   दी हैउसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा।" - शिवपूजन सहाय|

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राष्ट्रभाषा हिंदी हो जाने पर भी हमारे व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन पर विदेशी भाषा का प्रभुत्व अत्यंत गर्हित बात है।" - कमलापति त्रिपाठी।

 


"सभ्य संसार के सारे विषय हमारे साहित्य में आ जाने की ओर हमारी सतत् चेष्टा रहनी चाहिए।" - श्रीधर पाठक।

 


"भारतवर्ष के लिए हिंदी भाषा ही सर्वसाधरण की भाषा होने के उपयुक्त है।" - शारदाचरण मित्र।

 


"हिंदी भाषा और साहित्य ने तो जन्म से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा है।" - धीरेन्द्र वर्मा।

 


"जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं।"- सेठ गोविंददास।

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समस्त भारतीय भाषाओँ के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक होतो देवनागरी है --                                            जस्टिकृष्सण स्वामी अय्यर 

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    वही भाषा जीवित और जागृत रह सकती है जो जनता का ठीक-ठीक प्रतिनिधित्व कर सके और हिन्दी इसमें समर्थ है|                    पीर मुहम्मद मूनिस 

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देवनागरी ध्वनिशास्त्र की  दृष्टि से अत्यंत वैज्ञा निक लिपि है रविशंकरशुक्ल 

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हिन्दी चिरकाल से  ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के    कारण  किसी शब्द का  बहिष्कार नहीं किया ||  डॉ.राजेन्द्र  प्रसाद 

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आप जिस तरह बोलते है ,उसी तरह लिखा भी कीजिए | भाषा बनावटी नहीं होना चाहिए | महावीर प्रसाद द्विवेदी 


"भाषा की समस्या का समाधान सांप्रदायिक दृष्टि से करना गलत है।" - लक्ष्मीनारायण सुधांशु

 


2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

आप सभी लोगों को हिंदी दिवस कि शुभकामनाएं
हम जिस तरह भाषा बोलते हैं। उसी तरह भाषा को लिखना चाहिए। जिसे पुरे विश्व में हिंदी भाषा का महत्व हो
विनय कुमार पाण्डेय
के वि माती अकबरपुर
कानपुर देहात
काक्षा 11

Unknown ने कहा…

आप सभी लोगों को हिंदी दिवस कि शुभकामनाएं
हम जिस तरह भाषा बोलते हैं। उसी तरह भाषा को लिखना चाहिए। जिसे पुरे विश्व में हिंदी भाषा का महत्व हो
विनय कुमार पाण्डेय
के वि माती अकबरपुर
कानपुर देहात
काक्षा 11

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