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गुरुवार, अप्रैल 23, 2020

स्त्री प्रत्यय


स्त्री प्रत्यय- जिन प्रत्ययों को जोड़ने से पुलिंग शब्दों  स्त्री लिंग शब्द में परिवर्तन हो जाता है |उसे स्त्री प्रत्यय कहते है |
- अज-अजा/प्रिय-प्रिया/तनय-तनया/चटक-चटका/कृष्ण-कृष्णा/छात्र-छात्रा
आनी- इंद्र-इन्द्राणी/भाव-भवानी/रूद्र-रूद्राणी/क्षत्री-क्षत्रियाणी/खतरी-खतारनी/जेठ-जेठानी/सेठ-सेठानी
इका-अध्यापक-अध्यापिका/बालक-बालिका/नायक-नायिका/नाटक-नाटिका/सेवक-सेविका
इनी-कामी-कामिनी/हस्ती-हस्तिनी / यक्ष-यक्षिणी/सरोज- सरोजिनी/शिखा-शिखिनी 

ई-बुरा-बुराई/कुमार-कुमारी/पितामह-पितामही/देव-देवी/पुत्र-पुत्री

वती- (वान के स्थान पर वती) पुत्रवान-पुत्रवती/धनवान-धनवती/गुणवान्-गुणवती/प्रताप- प्रतापवती/विद्या-विद्यावती 
त्री- अभिनेता- अभिनेत्री/कर्ता-कर्त्री/धाताधात्री

नी- कुमुद-कुमदनी/पति-पत्नी मोर-मोरनी/सिंह-सिंहनी
आइन– पण्डित- पंडिताइन/ठाकुर-ठकुराइन चैबे-चौबाइन/नाई-नाइन लाला-ललाइन/पंडा-पंडाइन
इन –नाती-नातिन/भिखारी-भिखारिन/मालकिन-मालकिन
इया-कुत्ता-कुतिया /चूहा-चुहिया/बन्दर-बंदरिया 




रविवार, अप्रैल 19, 2020

कर्तुवाचक कृदंत–प्रत्यय


कर्तुवाचक कृदंत– जिस शब्द अंश से कर्ता का बोध हों उसे कर्तुवाचक कृदंत है |
अक= अंक-अंकक/ग्रह-ग्राहक/गा-गायक/मृ-मारक
अक्कड़=कूद-कुदक्कड/घुम-घुमक्कड़/भुल-भुलक्कड़
अन=नंद-नंदन/मोह-मोहन/दम-दमन
ता=ज्ञा-ज्ञाता/धा-धाता/दा-दाता/त्रा-त्राता/नी-नेता
इया=गढ़िया/डाक-डाकिया/धुन-धुनिया/नचनिया
एरा=कमेरा/लिखेरा/पटेरा/पथेरा/लुटेरा/लखेरा
ऐता=डाका-डकैत/गतकैत/लडैत
ओड़ा/ओड़=भगोड़ा/चटोरा/बटोरा/हँसोड़ा
औता/औती=कसौटी/चुनैती/कसौटी/चुकैति
वाला=करनेवाला/कहनेवाला/लुटनेवाला/बोलनेवाला
विद/वेत्ता=इतिहासविद/नितिविद/प्राच्यवेत्ता/भाषाविद
आक-तैराक/उडाक
आकू-लड़ाकू/पढ़ाकू/
इयल-अड़ियल/दढ़ियल/सड़ियल
ऊ-खाऊ/काटू /लागु/बिकाऊ/मारू/चालू
ऐया-बचैया/भरैया
 

भाववाचक कृदंत -प्रत्यय

प्रत्यय उस शब्द के  अंश  को कहते है जो किसी धातु के पीछे लग कर कोई नया शब्द बनता है|जैसे पाठक शब्द में क के स्थान पर इका प्रत्यय लगाने पर नया शब्द पाठिका शब्द बन जाता है |प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना है प्रति(साथ में)+अय(चलने वाला)

    प्रत्यय उस शब्द के  अंश  को कहते है जो किसी धातु के पीछे लग कर कोई नया शब्द बनता है|जैसे पाठक शब्द में क के स्थान पर इका प्रत्यय लगाने पर नया शब्द पाठिका शब्द बन जाता है |प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना है प्रति(साथ में)+अय(चलने वाला)  
   संस्कृत के प्रत्यय

कृदंत प्रत्यय के भेद
भाववाचक कृदंत –क्रिया का भाव  बताने वाले शब्द को भाववाचक कृदंत कहते है|
अ- कम-काम,बुध-बोध/भुज-भोज/भू-भाव/लिप्-लेप
अन-  अश-अनशन/ग्रह-ग्रहण/चि-चयन/तुष-तोषण
आ-पूज-पूजा/क्षम-क्षमा/दीक्ष-दीक्षा/दिश-दिशा/उष-उषा  
अना-धृ-धारण/गण-गणन/यत-यातना/वंद-वंदना
न –भज-भग्न/यत्-यत्न/ली-लीन/प्रश्-प्रश्न/
नि-धून-धुनि/धाव्-धावानि/जा-जानि
या- कृ-क्रिया/छा-छाया /
ति-आकृत-आकृति/जात-जाति/पुर्त-पूर्ति/नत-नति