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सोमवार, जुलाई 11, 2011

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भट्टा पारसौल में किसानों और पुलिस-प्रशासन के बीच हुए खूनी संघर्ष के मुख्य आरोपी मनवीर सिंह तेवतिया को रविवार को यहां जनपद न्यायालय में पेश किया गया। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट [एसीजेएम] द्वितीय व रिमांड मजिस्ट्रेट के न्यायाधीश अनिल कुमार यादव ने उसकी जमानत याचिका खारिज करते हुए उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
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कालका एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त, 40 की मौत, 300 घायल


फतेहपुर। हावड़ा से कालका जा रही 12311 अप हावड़ा-कालका मेल रविवार दोपहर 12.18 बजे फतेहपुर व कानपुर के बीच मलवां स्टेशन पर दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। माना जा रहा है कि ट्रेन में आपात ब्रेक लगाये जाने से हादसा हुआ। हादसे में इंजन के बाद लगी चौदह बोगियां पटरी से उतरते हुए एक के ऊपर एक चढ़ जाने से स्वीडन के एक यात्री समेत 40 लोगों की मौत हो गई। वहीं 300 से अधिक यात्री घायल हुए हैं। मलवां स्टेशन फतेहपुर से 17 तथा कानपुर से 60 किमी दूर है।
दुघर्टना में मृतकों के परिवारीजन को सात-सात लाख, गंभीर रूप से घायलों को एक लाख 75 हजार तथा अन्य सभी घायलों को पचास-पचास हजार रुपए आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई है। हालात इतने गंभीर थे कि राहत कार्य सेना के हवाले करना पड़ा। सेना के जवान हेलीकाप्टर से मौके तक पहुंचाये गए। दुर्घटना की जांच मुख्य संरक्षा आयुक्त नार्थ फ्रंटियर रेलवे [एनएफ] को सौंपी गई है, जो कोलकाता से रवाना हो चुके हैं। दुर्घटना में स्वीडन के तीन नागरिक भी प्रभावित हुए जिनमें से एक विक की मौत हो गई, दूसरा ऑस्कर जख्मी हो गया जबकि तीसरा विक्टर लापता है। इस मामले में दूतावास से पूछताछ भी की गयी है।
कालका मेल रविवार दोपहर मलवां स्टेशन के पास पहुंची थी, ट्रेन की गति 107 किलोमीटर प्रति घंटा थी, ऐसा माना जा रहा है कि ड्राइवर यूके यादव ने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया। इसके बाद तेज धमाके के साथ ट्रेन पटरी से उतर गई और इंजन के बाद लगीं 14 बोगियां एक दूसरे पर चढ़ गईं। ड्राइवर के मुताबिक आगे चल रही मालगाड़ी को प्लेटफार्म नंबर तीन पर रोककर कालका को पास किया जा रहा था। यह भी बताया जा रहा है कि हावड़ा कालका मेल का प्वाइंट ठीक न मिलने के कारण इंजन पटरी से उतर गया। कहा यह भी जा रहा है कि इंजन का एक्सल टूटने के कारण चालक ने इमरजेंसी ब्रेक लगाया और भीषण हादसा हो गया। सही कारण जांच में पता चलेगा।
दुर्घटना में कालका मेल के इंजन समेत 14 डिब्बे पटरी से उतर गये। 11 डिब्बे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। इनमें इंजन के बाद लगा एसएलआर कोच, पांच स्लीपर कोच, पेंट्री कार व पांच एसी कोच के अलावा एक रेलवे मेल सर्विस की बोगियां शामिल हैं। घटना की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि घटना के दस घंटे बाद तक घायलों व मृतकों को बोगियों से निकाला नहीं जा सका था। कुछ बोगियां एक-दूसरे में इस कदर घुस गई थीं कि लोगों को निकालना संभव नहीं हो पा रहा था। आगे खड़ी मालगाड़ी के कुछ डिब्बे भी इसकी चपेट में आने से पटरी से उतर गए।
हादसे की जानकारी चालक एके सिंह व सहायक चालक यूके यादव ने अधिकारियों को दी। इसके बाद स्थानीय प्रशासन के अधिकारी व पुलिस करीब आधे घंटे बाद मौके पर पहुंची। हादसे के बाद पास के गांव के सैकड़ों लोग मौके पर आए और पलट गए डिब्बों में फंसे लोगों को बाहर निकालना शुरू किया। दुर्घटना का भीषण स्वरूप देख स्थानीय व रेल प्रशासन के हाथ-पांव फूल गये। इस पर सेना की मदद लेनी पड़ी। घटनास्थल पर आसपास के गांवों व गाड़ियों की भीड़ के चलते तीन किमी तक जाम की स्थिति बनी, इस कारण सेना को मेडिकल व रेस्क्यू टीम हेलीकाप्टरों से भेजनी पड़ी। देर रात 12.30 बजे राष्ट्रीय आपदा निमोचन दल के 128 जवानों ने पहुंचकर राहत और बचाव कार्य शुरू किया।
-फोन टैपिंग प्रकरण के बाद ब्रिटेन का सर्वाधिक बिकने वाला साप्ताहिक अखबार 'न्यूज ऑफ द व‌र्ल्ड' का प्रकाशन रविवार से बंद हो गया। 168 साल पुराने इस अखबार का आखिरी अंक पाने के लिए पाठकों की भीड़ अखबारों के स्टॉलों पर देखी गई।
खूंखार अपराधियों और इराक युद्ध में मारे गए सैनिकों के परिजनों के फोन हैक करके सूचनाएं जुटाने के गंभीर आरोप लगने के बाद अतंरराष्ट्रीय मीडिया जगत के बादशाह और अखबार के मालिक रूपर्ट मर्डोक ने इसे बंद करने का फैसला लिया।
एक पौंड [करीब 71 रुपये] की कीमत वाले इस आखिरी अंक के प्रथम पेज पर ऊपरी हिस्से पर लिखा गया, 'द वल्‌र्ड्स ग्रेटेस्ट न्यूजपेपर [दुनिया का सबसे महान अखबार] 1843-2011'। साथ ही शीर्षक था 'थैंक्यू एंड गुडबाय'। इसके आखिरी संस्करण की 50 लाख प्रतियां छापी गई। इसमें पहले पन्ने से लेकर आखिरी पन्ने तक मशहूर खबरें और तस्वीरें प्रकाशित की गई।
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