मैं एक आम लड़की हूँ | मैं किसी बड़े खानदान से नहीं हूँ |मैं एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ | मैंने जीवन में कुछ करने का सपना देखा है| शायद मैं उसे पूरा कर सकू और हो सकता है, शायद न कर सकू | पर सपने देखने से मुझे कोई नही रोक सकता है |
मैं बड़ी होकर विज्ञान की पढाई करके अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनाना चाहती हूँ , जिससे मैं पृथ्वी जैसे एक सुन्दर ग्रह की खोज कर सकू |पर उससे पहले एक अच्छा इंसान बनाना चाहती हूँ |
इस कविता में मैंने अपने नन्हे मन के भावों को ईश्वर के सामने व्यक्त किया है |
तुम देना साथ मेरा |
रहू जब भी मैं अकेली ,
आके तुम मेरे दोस्त बन जाना
|
भटकू जब भी मैं कहीं ,
तुम आके मुझे राह दिखाना |
अगर कहीं मै रूक जाउँ ,
आके हौसला मेरा बढ़ाना |
ए मेरे परमपिता
परमेश्वर , ए मेरे मालिक , ए खुदा
तुम देना साथ मेरा |
अगर कहीं थक जाउँ
आके देना ताकत मुझे |
अगर कभी मैं रोऊँ
,
आके हँसाना मुझे
|
अगर कभी मैं रूठ जाउँ
,
आके मनाना मुझे |
अगर कहीं खिले न
फूल ,
आके तुम उसे
खिलाना |
ए मेरे परमपिता परमेश्वर ,
ए मेरे मालिक , ए खुदा
तुम देना साथ मेरा |
प्रियंका शाह
कक्षा 9
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