मैं जग –
जीवन का मार लिए फिरता हूँ,
फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ;
कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर
मैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूँ !
फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ;
कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर
मैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूँ !
मैं स्नेह-सुरा का पान किया कस्ता हूँ,
में कभी न जग का ध्यान किया करता हुँ,
जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते,
मैं अपने मन का गान किया करता हूँ !
में कभी न जग का ध्यान किया करता हुँ,
जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते,
मैं अपने मन का गान किया करता हूँ !
जग जीवन- संसार रूप जीवन / झंकृत - तारों को बजाकर स्वर निकालना।/स्नेह – प्यार/सुरा-शराब/पान
– पीना / ध्यान- ख्याल /परवाह /जग-संसार /गाते-संगीत का गाने की प्रक्रिया/प्रशंसा
करना
इस कविता में श्री हरिवंशराय बच्चन जी कहते हैं कि मैं संसार रुपी
जीवन का भार लिए घूमता रहता हूँ। उसके बाद
भी मेरा जीवन प्यार से भरा-पूरा है। कवि कहता
है कि सभी कठिनाई होने के बाद भी उसे जीवन
से प्यार है | उसका जीवन सितार की तरह है जिसे किसी ने छूकर झंकृत कर दिया है।
फलस्वरूप उसका जीवन संगीत से भर उठा है। उसका जीवन इन्हीं तार रूपी साँसों के कारण
चल रहा है।
उसने स्नेह रूपी मदिरा
का पान कर रखा है अर्थात प्रेम किया है तथा बाँटा है। वह कभी संसार की परवाह नहीं करता है । संसार के
लोगों की प्रवृत्ति है कि वे उनको पूछते हैं जो संसार के अनुसार चलते हैं तथा उनका
गुणगान करते हैं अर्थात जो संसार के लोगो की चाटुकारिता करता है उसका साथ देता है
वही कवि अपने मन की इच्छानुसार चलता है, वह वही करता है जो उसका मन करता है। इसके कारण
उसका विराध भी होता है |
1.
संसार
के स्वार्थी स्वभाव पर टिप्पणी की है।
2.
‘स्नेह-सुरा’ व ‘साँसों के तार’‘जग-जीवन’, ‘स्नेह-सुरा
में रूपक अलंकार है।
3.
‘जग-जीवन’, ‘स्नेह-सुरा’ में अनुप्रास अलंकार है।
4. कविता में भाषा खड़ी
बोली का प्रयोग किया गया है।
5 इस कविता में शांत रस है।
6 कविता की भाषा सरल और सहज सीधी है। इस कारण वह सीधे जनता के हृदय तक पहुचंती है।
प्रश्न
-- (क) जगजीवन का भार लिए फिरने से कवि का क्या आशय हैं? उसके बाद कवि क्या करता है |
(ख) कवि अपने हृदय में क्या क्या लिए फिरता है ?
(ग) ‘स्नेह-सुरा’ से कवि का क्यातात्पर्य है?
(घ) जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते। का क्या अर्थ है
(घ) जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते। का क्या अर्थ है
(च) संसार किसकी गाता है और क्यों
(छ)‘साँसों के तार’ से कवि का क्या तात्पर्य हैं? आपके विचार से उन्हें किसने झकृत किया होगा?
(छ)‘साँसों के तार’ से कवि का क्या तात्पर्य हैं? आपके विचार से उन्हें किसने झकृत किया होगा?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें