बहुत हंसी आती है जब लोग कहते है MSP को अनिवार्य कर दो । मानलो अगर अनिवार्य कर दिया गया और कहा गया इससे कम पर खरीद नहीं सकती है ।
इससे क्या फायदा होगा । कोई बतायेगा । सामान्य अर्थ शास्त्र को पढ़ने वाला जानता है सम्पूर्ण बाजार मांग और सप्लाई पर चलता है । आज भारत में इतना आनाज उत्पन्न होता है कि पूरा आनाज भारत में खप नहीं सकता है । मान लो सरकार द्वारा 2000 MSP कर दिया जाये तो कम्पनी को भी 2000 में खरीद करना अनिवार्य होगा ।आज के समय में भारत में 210 मिलियन टन चावल और गेहूँ का उत्पादन होता इतना सारा आनाज भारत में खप नहीं सकता पर विदेश में वही गेहूँ 1800 मिल रहा है तो कम्पनी घाटे के व्यवसाय पर निवेश क्यों करेगी । फिर जो होता है वही होगा साहूकार किसान से 1500 लेकर के मंडी में 1700 रूपये पर दलाल के हाथ बेच देगा या तो हो सकता अनाज किसान के पास सड जायेगा ।
सरकार व्यापारी को बाध्य नहीं कर सकती तुम खरीदो ही और दूसरी बात अगर सरकार सारा अनाज खरीद लेती है तो वह WTOके नियम के अनुसार दूसरे देश को दान तो कर सकती है पर सस्ते दाम बेच नहीं सकती । अगर उसने बेचा तो उसके उपर अनेक प्रतिबंध लग जायेगा ।भारत के दाम पर कोई खरीददार नहीं मिलेगा जैसे चाइना आज तक चावल अन्य देशों में खरीद लेता था पर भारत से नहीं क्योंकि भारतीय चावल महँगा होता है । तो क्या इसका कोई विकल्प नहीं है तो इसका विकल्प है ।किसान सम्मान निधि को और बढाया जाये । क्योंकि वह सहायता में आता है न कि सब्सिडी में ।
सरकार और कम्पनी मिलकर कृषि पर शोध करें जिससे कृषि की लागत सस्ती है और मुनाफ़ा अधिक हो ।
किसान की बीमा का तरीका बदला जाये जैसे व्यक्ति गत दुर्घटना होने व्यक्ति भरपाई होती है उसी तरह कृषि बीमा हो ।न कि उस क्षेत्र के आधार पर।
कृषि निर्यात को बढाया जाये । इसके लिए जिस अनाज की मांग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिक हो उसके उत्पादन को सरकार प्रोत्साहित करें । अगर किसी कारण से अगर दाम गिर जाये अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में तो किसान को अलग से प्रोत्साहन राशि दे । भले ही गिरे दाम पर फसल को व्यापारी खरीद ले पर सरकार उस घाटे को पूरा करें ।
कृषि के साथ अन्य आय के साधनों विकास हो ।
इसी तरह MSP को अनिवार्य न करने पर भी सरकार और कृषक सभी को फायदा होगा । MSP को अनिवार्य करने से सरकार और कृषक सभी को घाटा होगा ।
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