वनस्पति विज्ञानं का जनक- थ्रियोफ्रेस्ट्स नामक वनस्पति शास्त्री था |पुस्तक--HIstoria plantrum
अरस्तु ने अपनी पुस्तक HIstoria Animalium में ५०० जन्तुओ का वर्णन किया |अरस्तु को जन्तु विज्ञानं का जनक कहा जाता है |
कैरोलस लिनिस को वर्गिकी का जनक कहा जाता है |पुस्तक --je nera planTeram /sistema nechuri /,klases planteram ,/ philasophiya barteka है
आर . एच . हेट्टेकर(१९६९) ५ जगत प्रणाली का प्रतिपादन किया | इसमे इन्होने जीवो को ५ भागो में बाटा-
१- मोनेरा - प्रोकैरियोटिक जीव
२- प्रोटिस्टा - एक कोशकीय जीव
३ पादप - रंगीन बहुकोशाकीय जीव
४ कवक
५ एनिमेलिया -हाईड्रा ,,जेलीफिश ,उभयचर आदि
जीवो का नाम करण द्विनाम पद्धति पर होता है |जैसे - मानव का होमोसेपियंस लिन है| होमो उस वंश का नाम है जिसकी एक जाति सेपियंस है| इस प्रणाली के जनक कैरोलस लिनिस है |
कोशिका --
कोशिका की खोज सन १६६५ में राबर्ट हुक ने की थी |
जीवो के जीवन का मैलिक आधार जीव द्रव है|जिसकी खोज जे. ई .पुर्किजे ने की थी | जीव द्रव का ८०% भाग जल होता है |यह दो भागो में बटा होता है-(१)-कोशिका द्रव्य (२) केन्द्रक द्रव |
दो जर्मन वैज्ञानिक श्लाइडन और टी श्वान ने कोशिका सिद्धांत दिया |
सभी प्राणियों का शरीर कोशिका से बना होता है |
यह जैविक क्रियाओ या मेटाबोलिक क्रियाओ की इकाई को प्रदर्शित करती है |
कोशिका अनुवाशिक इकाई है तथा इन में अनुवाशिक गुण होता है|
नवीन कोशिका पूर्व वर्ती कोशिकाओं से बन सकती है|
किसी भी जीव में होने वाली सभी क्रियाए उसकी घटक कोशिका में होती है या कोशिका के ही करण होती है
कोशिका की आकृति -कोशिकाए अपने कार्य की प्रकृति के अनुसार लम्बी गोलाकार चपटी होती है |मोटाई१० micron से २०० micron तक होती है |(1micron = १/1000 m .m होता है )
- सबसे छोटी कोशिका माइक्रोप्लाज्मा गौलोसेप्तिकम है| जिसे प्ल्यूरोंयुमोनिया लाइक ऑर्गेनिजम P .P .L .O . कहते है| इसकी map .१ माइक्रो मीटर होता है |
सबसे बड़ी कोशिका शुतुरमुर्ग का अंडा है |(170m *135m )
सबसे लम्बी कोशिका तंत्रिका तंत्र है | ९० c.m तक |
लाल रूधिर कण .७ माइक्रो मीटर की होती है |
कोशिका के तीन अंग है -(१) cell membrane -कोशिका झिल्ली वसा तथा प्रोटीन की बनी एक अर्ध पारगम्य झिल्ली होती है| जो कोशिका और उसके बाहर के आणविक गति विधि का कार्य करती है |
cell wall --कोशिका भित्ति केवल पादप कोशिका में होती है |यह कोशिका झिल्ली को बाहरी आघातों से बचाती है |यह हरे पौधे, शौवल में सैल्यूलोज की बनी है तथा जीवाणु एवं कवक की कोशिका भित्ति कार्बोहाइड्रेट की बनी होती है |
(२) nucleus - केन्द्रक की खोज राबर्ट ब्राउन ने १८३१ में की थी | nucleus में निम्न संरचना होती है
१ nuclear memberane -प्रोटीन तथा वसा की बनी दो सतहों की झिल्ली है |दोनों सतहों के मध्य १० से ५० नैनोमीटर का रिक्त स्थान होता है |जिसे परिकेंद्र अवकाश कहते है |जिस कोशिका में झिल्ली युक्त केन्द्रक होता है उसे yukairiyaTik जिसमे झिल्ली युक्ता केन्द्रक नही होता है वह प्रोकैरियोटिक कहते है |
(२)-nucleoplasma -केन्द्रक द्रव्य केन्द्रक के अन्दर भरा जीवद्रव्य है |यह प्रोटीन ,फास्फोरस और न्यूक्लिक अम्ल का बना होता है |
(3) Nucleous -- केंद्रक के अन्दर एक अन्य गोलाकार रचना है |केंद्रिका के कार्य --
-r -RNA का केंद्रिका में संश्लेषण होता है |
-केंद्रिका में बने RNA को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में सहायक |
-राइबॊसोम यहाँ पर इकट्ठा होता है |
केन्द्रक जाल--यह एक जाल जैसी संरचना है जिसमे क्रोमोटिन (खोज --फ्लेमिग ) नामकमोटे कण पाए जाते है जो अनुवांशिक पदार्थ है क्रोमोटिन में हिस्टोन(प्रोटीन )D .N .A , और R.N .A . के अणु होते है |जिसमे D .N .A अनुवांशिक तत्व है|
कोशिका विभाजन के समय क्रोमोटिन सिकुड़ कर छोटे मोटे धागों के रूप में संगठित हो जाते है जिन्हें गुणसूत्र कहते है | मनुष्य की एक कोशिका में लगभग दो मीटर लम्बा D .N .A सूत्र ४६ गुण सूत्रों (२३ जोडो ) में बिखरा पड़ा है |
गुणसूत्र में जेली के समान गाढ़ा भाग होता है जिसे मैट्रिक्स कहते है|
क्रोमोनिमेटा --मैट्रिक्स में परस्पर लिपटे महीन एवं कुंडलित सूत्र है|प्रत्येक क्रोमोनिमेटा एक अर्ध गुण सूत्र है |अथार्त प्रत्येक गुणसूत्र दो अर्ध गुणसूत्र से मिल कर बनता है |जिस स्थान पर ये आपस में मिलते है वह स्थान सेंटोमियर है| गुणसूत्र में बहुत से जिन होते है जो अनुवांशिकी के वाहक होते है| गुण सूत्रों का नाम करण डब्लू वल्डेयर ने किया था | सेक्स क्रोमोसोम - ये लिंग निर्धारण में भाग लेते है | ये गुण सूत्र नर मादा में अलग अलग पाए जाते है |
नोट- स्तनधारी जीव की रक्ताणु एवं संवहनी पोधो में चानल नलिका की कोशिका में केन्द्रक नही पाया जाता है |
जीव गुणसूत्र की संख्या
मच्छर ६
घरेलु मक्खी १२
मधु मक्खी १६
चिपैजी ४८
मनुष्य ४६
कुत्ता ७८
मटर १४
गेहूं ४२
कबूतर 80
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मंगलवार, जुलाई 12, 2011
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