बुधवार, अक्टूबर 02, 2019

राजभाषा अधिनियम 1963 ( धारा 1 से धारा 3 तक )

1955 राजभाषा आयोग और संसदीय राजभाषा आयोग के द्वारा की गयी सिफारिश के आधार पर अंग्रेंजी के प्रयोग को 1965 के बाद भी जारी रखने के लिए सन 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित किया गया | जिसके प्रवधान निम्नलिखित थे |--
धारा 1 – यह अधिनियम राजभाषा अधिनियम 1963 कहा जायेगा |
धारा 2 – इस अधिनियम की धारा 3, 26 जनवरी 1965 से लागु होगी , शेष उपबन्ध तब लागु होगे जब भारत की केंद्रीय सरकार शासकीय राजपत्र के द्वारा इसे लागु करने की घोषणा करें |
धारा 3 – मूल संविधान में कहा गया था कि संविधान के लागु होने के पन्द्रह वर्ष तक अंग्रेजी का प्रयोग जारी रहेगा उसके बाद हिन्दी का प्रयोग सुनिश्चित किया जायें, पर यह अधिनियम कहता है कि हिन्दी के साथ अंग्रेजी का प्रयोग भी आगे भी जारी रहेगा |  अर्थात संघ  के राजकीय प्रयोजन जिनके लिए अंग्रेजी का प्रयोग हो रहा था वहां अंग्रेजी का प्रयोग होगा एवं संसदीय कार्य में भी इसका प्रयोग जारी रहेगा |

संघ और गैर हिन्दी भाषीय राज्य ( जिन्होंने हिन्दी को राजभाषा के रूप में न अपनाया हो ) के मध्य पत्रचार अंग्रेजी में ही किया जायें |
हिन्दी को राजभाषा के रूप में अपनाने वाले राज्य और गैर हिन्दी भाषीय राज्य के मध्य  अगर पत्रचार हिन्दी में होतो उसका अंग्रेजी अनुवाद अवश्य हो |

नोट: 3( 1 ) के ये उपबन्ध बाध्य नहीं करते थे कि अंग्रेजी का प्रयोग अवश्य करें ,अगर हिन्दी भाषीय राज्य या संघ और गौर हिन्दी भाषीय राज्य आपसी सहमती से हिन्दी में पत्राचार करते है तो कर सकते है अधिनियम इसकी अनुमति देता है |

3(2)- उपधारा धारा (1 ) के किसी बात के होते हुए भी अधिनियम की उपधारा 3(2) कहती है कि अधोलिखित विभागों के मध्य पत्राचार हिन्दी या अंग्रेज़ी में किया जाता है वहां अनुवाद भी हिन्दी या अंग्रेजी में अवश्य दिया जाएगा |
1 केंद्रीय सरकार  एक मंत्रालय या विभाग या कार्यालय के और दूसरे मंत्रालय या विभाग या कार्यलय के मध्य |
2 केंद्रीय सरकार  एक मंत्रालय या विभाग या कार्यालय के और केंद्रीय सरकार के मालिकाना हक़ वाले या नियंत्रण में किसी निगम या कम्पनी या उनके किसी कार्यालय के मध्य पत्राचार|
केंद्रीय सरकार के मालिकाना हक़ वाले या नियंत्रण में किसी निगम या कम्पनी या उनके किसी कार्यालय और उनकी तरह के किसी अन्य निगम या कम्पनी या उनके किसी कार्यालय के मध्य
3(3)- को अगर सरल शब्दों में समझे तो यह कह सकते है सभी सरकारी कागजात हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषा में हो| किसी भी केंद्रीय सरकार के किसी विभाग /कार्यालय/निगम/कंपनी के निकाले गये संकल्पों,साधारण आदेशों, नियमों ,अधिसूचनाएं,प्रशासनिक अन्य प्रतिवेदनों या प्रेसविज्ञप्तियों आदि |
किसी भी केंद्रीय सरकार के किसी विभाग /कार्यालय/निगम/कंपनी निकाली गई अनुज्ञप्ति(आज्ञा),अनुज्ञापत्रों, सूचनाओं,निविदा-प्रारूपों के लिए,प्रयोग में लाई जाएगी |
 3(4) उपधारा 1,2,3,पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना संघ जन हित एवं विभागों के कार्यों में दक्षता लाने हेतु इस अधिनियम की धारा 8 के तहत किसी भाषा या भाषाओं का उपबंध कर सकती है |
3(5) उपधारा 1,2,3,4,तब तक प्रभावी रहेगें जब तक गैर हिन्दी भाषीय राज्यों ( जिन्होंने हिन्दी को राजभाषा के रूप में न अपनाया हो ) की विधानसभा सभा के द्वारा इसके लिए  संकल्प पारित नहीं कर दिया जाता है |
                                                                        क्रमशः ....

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