जिन्दगी की चाल को देख कर घबरा जाता हूँ
कहा भाग जाऊ यह सोचता हूँ
न रास्ते का पता है
न मंजिल की पहचान है
कहा भाग जाऊ यह सोचता हूँ
न रास्ते का पता है
न मंजिल की पहचान है
जिधर नजर फेरता हूँ
उधर निराशा और हताशा का जाल है
जिसमें मेरा वजूद फसता जाता है
आशा की किरण खोजता हूँ
उधर निराशा और हताशा का जाल है
जिसमें मेरा वजूद फसता जाता है
आशा की किरण खोजता हूँ
निराशा का तम हाथ आता है ]
जिन्दगी की चाल को देख कर घबरा जाता हूँ
मौत के आगोश में जाना में जा कर
कठिनाईयों से पीछा छुड़ाना चाहता हूँ
कठिनाईयों से पीछा छुड़ाना चाहता हूँ
तभी कही से आवाज आती है
तू डर नहीं संघर्ष कर मै तेरे पास हूँ
तू डर नहीं संघर्ष कर मै तेरे पास हूँ
एक बार दिल से आवाज लगाकर देख तो सही
तू डर नहीं, तू मुझ में है मै तुझ में मेरी सारी ताकत तुझ में समाई है |
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