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JANTA KA MANCH JANTA KE LIYE यहाँ आप साहित्य सामान्य ज्ञान एवं समसामयिक घटनाओं पर आलेख प्राप्त कर सकते है । यहाँ पर आप कक्षा 9,10,11 एवं 12 के हिन्दी विषय के बहुविकल्पी पर अभ्यास कर सकते है | हिन्दी विषय से TGT,PGT की तैयारी में विशेष रूप से उपयोगी |
शनिवार, मई 29, 2021
भारतेंदु हरिश्चंद्र
शनिवार, जुलाई 11, 2020
कारक (कर्ता कारक,कर्म कारक ,करण कारक)
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका संबन्ध वाक्य के दूसरे शब्द के साथ जाना जाए,उसे कारक कहते है | कारक के भेद
कर्ता कारक-कार्य करनेवाले- ने चिन्ह
राम (कर्ता )ने (कारक चिन्ह) खाना खाया
शिकारी शेर को देखता है| प्रश्न शिकारी किसको देखता है |उत्तर- शेर /को कारक चिन्ह है |
कर्मधारय समास ,बहुव्रीहि समास,द्विगु समास
महाकवि- महान है जो कवि,
महादेव- महान है जो देव
अधमरा-आधा है जो मरा
चंद्रमुख- चंद्रमा के समान मुंख
लौहपुरुष- लोहे के समान पुरूष
बहुव्रीहि समास--इस समास में अन्य पद प्रधान होता है |दोनों पदों के योग से किसी अन्य पद का बोध होता है|
तत्पुरुष समास के भेद
कारक (परसर्ग) तो आप लोगो ने पढ़ा होगा इनकी संख्या कुल आठ होती है| इन्हीं में से पहला कारक कर्ता कारक और अंतिम कारक संबोधन कारक है जिनके आधार पर तत्पुरुष में भेद नहीं होता है | इसके अतिरिक्त बचे छह कारक के आधार पर तत्पुरुष के भेद होते है|
कर्म तत्पुरुष- को (द्वितीया पुरूष)
सुखप्राप्त-सुख को प्राप्त करनेवाला |
मंगलवार, मई 26, 2020
नमक ( रज़िया सज्जाद जहीर )
मंगलवार, मई 12, 2020
हिन्दी साहित्य का नामकरण 1( दसवीं से चौदहवीं शताब्दी तक के समय का नामकरण )
नामकरण
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नाम देने वाले विद्वान का नाम
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टिप्पणी
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चारणकाल 643से1200
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ग्रियसन
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नाम का कोई ठोस आधार नहीं
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प्रारम्भिक काल
643से1387
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मिश्रबंधु
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साहित्यिक प्रवृत्ति का धोतक नही |यह सामान्य संज्ञा
है जो हिन्दी भाषा के प्रारम्भ को बताता है |
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वीरगाथा काल
1050से1375संवत
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आ.रामचन्द्र शुक्ल
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आश्रयदाता राजा के वीरतापूर्ण कार्यों का चारण कवियों के
द्वारा वर्णन करना | इन रचनाओं को रासो
काव्य कहते है |
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सिद्धसामंत काल
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राहुल सांस्कृत्यायन
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इस युग में सिंध और सामंत का युग था
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बीजवपन काल
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महावीरप्रसाद द्विवेदी
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यह नाम तर्कसंगत नहीं हैक्योंकि इस समय साहित्य
अपने चरम विकास का समय था |
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वीरकाल
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विश्वनाथप्रसाद मिश्र
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यह रामचंद्र शुक्ल द्वारा दियें नाम का रुपान्तरण
है
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आदिकाल
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हजारी प्रसाद द्विवेदी
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आदिकाल प्रारम्भ का न होकर परम्परा के विकास का
सूचक है|आ.हजारी प्रसाद ने नवीन ताजगी और अपूर्व
तेजस्विता विशेषता है |
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संधिकाल एवं चारण काल
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डॉ.रामकुमार वर्मा
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कोई साहित्यिक प्रवृति नहीं है |
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रविवार, मई 10, 2020
हिन्दी साहित्य के इतिहास के लेखन का प्रयास
गुरुवार, मई 07, 2020
तार सप्तक के कवि-
सामान्य ज्ञान (MCQ) सितम्बर
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