रविवार, फ़रवरी 07, 2016

है कली कली के होठों पर ,तेरी खूबसूरती का फ़साना | & आज भी याद आता छुप छुप कर मिलन

है कली कली के होठों  पर ,तेरी खूबसूरती  का फ़साना  |
 मेरी  जिन्दगी  का सब कुछ, तेरा सिर्फ़ मुस्करा ||

ये खुली खुली  जुल्फेसावन कि घटा जैसी|
ये झुकी झुकी निगाहें, सितम गिराये बिजली जैसी ||

तेरे थिरकते कदमों  मे बसंती बहार का खजाना|

है कली कली के होठों  पर ,तेरी खूबसूरती  का फ़साना  ||
तेरा मस्ती -शरारत. भरी नजरें जैसे  जामे साकी  के|
मेरा दिल रो रहा है तू जा मेरी  जिन्दगी  संभल के||
तेरे गम में  रो लूँगा  क्योंकि खुशी बर्दाश्त. नही करता जमाना |
है कली कली के होठों  पर ,तेरी खूबसूरती  का फ़साना  ||


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