सोमवार, अप्रैल 29, 2019

महाप्रभु वल्लभाचार्य

कृष्ण भक्ति शाखा के  प्रमुख सूरदास के गुरु और पुष्टिमार्ग के प्रणेता महाप्रभु वल्लभाचार्य का जन्म वैशाख कृष्ण पक्ष की एकादशी  को सन १५३५ को चंपारण (रायपुर छत्तीसगढ़ ) में हुआ था | इनके पिता का नाम श्री लक्ष्मण भट्ट जो की एक तैलांग ब्राह्मण थे और इनकी माता  का नाम इलम्मागारू था | इन्हें वैश्वानर अवतार कहा जाता है |इनकी पत्नी का नाम महालक्ष्मी एवं इनके पुत्र श्री गोपीनाथ एवं श्री विट्ठलनाथ(अष्टछाप के संस्थापक ) था |  महाप्रभु का उपनयन संस्कार मात्र 7 वर्ष की अवस्था में हो गया था उसके बाद इन्होने वेद वेदांगों का सम्पूर्ण अध्यन मात्र 11 वर्ष पूर्ण कर लिया |
तत्पश्चात इन्होने विजय नगर के राजा कृष्णदेव राज के दरबार के सभी विद्वानों को अपने अकाट्य तर्कों से परास्त विजय नगर के प्रमुख आचार्य बने |इनके द्वारा लिखा गया प्रमुख ग्रंथ –
ब्रह्म सूत्र का अणु भाष्य और वृहद भाष्य
भागवत सुबोधानी टीका
त्रिविध नामावली न्यायादेश
मधुराष्टक ,परिवृढअष्टक  ,नंदकुमार अष्टक ,श्री अष्टक ,गोपीजनवल्लभअष्टक
अणु भाष्य
भगवतपीठिका भागवत तत्वदीप निबंध आदि
इन्होने सम्पूर्ण भारत का तीन बार भ्रमण किया उसके अलावा श्रीमद भागवत का चौरासी बार परायण किया |जिनको 84 बैठक के नाम से जाना जाता है |

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