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गुरुवार, सितंबर 12, 2024

कैसे करें कहानी का नाट्यरूपंरण


कहानी और नाटक में समानता (प्रतिदर्श प्रश्न पत्र 2024-25)

  • कथानक और घटनाक्रम: दोनों ही में एक केंद्रीय कहानी होती है जो विभिन्न घटनाओं से जुड़ी होती है। ये घटनाएं एक क्रम में होती हैं और कहानी को आगे बढ़ाती हैं।
  • पात्र और उनके रिश्ते: दोनों में पात्र होते हैं जिनके अपने-अपने व्यक्तित्व, लक्ष्य और इरादे होते हैं। इन पात्रों के बीच के रिश्ते कहानी और नाटक को आगे बढ़ाते हैं।
  • संघर्ष: दोनों में पात्रों को किसी न किसी तरह के संघर्ष का सामना करना पड़ता है। यह संघर्ष कहानी या नाटक का मुख्य बिंदु हो सकता है।
  • भावनाएं: दोनों में पात्रों की विभिन्न भावनाएं जैसे प्यार, नफरत, खुशी, दुख आदि को व्यक्त किया जाता है। ये भावनाएं पाठक या दर्शक को कहानी या नाटक से जोड़ती हैं।
  • संदेश: दोनों में कोई न कोई संदेश या विचार छिपा होता है जिसे लेखक पाठक या दर्शक तक पहुंचाना चाहता है। यह संदेश सामाजिक, राजनीतिक, या व्यक्तिगत हो सकता है।
  • शिखर (चर्मोत्कर्ष): दोनों में एक शिखर होता है जहां कहानी या नाटक अपने उच्चतम बिंदु पर पहुंचता है। यह वह बिंदु होता है जहां संघर्ष का समाधान होता है या पात्रों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आता है।
  •  __________________________________________________________________________________


    कहानी और नाटक में अंतर -- 2023,

    प्रस्तुति-: कहानियाँ पढ़ी जाती हैं, नाटक मंचित होते हैं।

    2. अभिव्यक्ति-: कहानियाँ वर्णनात्मक होती हैं, नाटक संवाद और अभिनय पर निर्भर करते हैं।

    3. पात्र विकास-: कहानियों में पात्रों के आंतरिक विचार विस्तार से बताए जाते हैं, नाटक में यह मुख्य रूप से संवादों के माध्यम से होता है।

    4. दर्शक/पाठक-: कहानियाँ पाठकों को कल्पना करने का आमंत्रण देती हैं, नाटक दर्शकों के सामने लाइव प्रदर्शन प्रस्तुत करते हैं।

    5.दृश्य प्रस्तुतिकरण-: नाटक में दृश्य प्रभाव, मंच सज्जा, और लाइटिंग महत्वपूर्ण होते हैं; कहानियाँ इन पर निर्भर नहीं करतीं।

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    कहानी और नाटक में मुख्य अंतर:

    • पढ़ना या देखना: कहानी पढ़ी जाती है, जबकि नाटक मंच पर देखा जाता है।
    • कल्पना: कहानी में पाठक अपनी कल्पना से दृश्य बनाते हैं, जबकि नाटक में दृश्य पहले से तैयार होते हैं।
    • पात्र: कहानी में पात्रों के मन के भावों को विस्तार से बताया जाता है, जबकि नाटक में पात्रों के भाव उनके संवादों और अभिनय से समझ में आते हैं।

    • समय: कहानी में समय धीरे-धीरे बीतता है, जबकि नाटक में समय तेजी से बीतता है                                    ___________________________________________________________________
    •  कहानीकार द्वारा  कहानी के प्रसंगों या पात्रों के मानसिक द्वंदों के विवरण के दृश्यों कि नाटकीय प्रस्तुति में काफ़ी समस्या  आती है |' कथन के सन्दर्भ में  नाट्य रुपान्तरण कि चुनौतियों  का उल्लेख करें --          कहानी के नाट्य  रुपान्तरण  में आने वाली चुनौतियां :

    • संक्षिप्तीकरण: कहानी को नाटक में बदलते समय सबसे बड़ी चुनौती होती है। कहानी में कई विवरण, उपकथाएं और पात्रों को काटना पड़ता है। यह निर्णय लेना बहुत मुश्किल होता है कि कौन सी जानकारी रखनी है और कौन सी हटानी है।
    • स्थान, समय और सीमाएं: नाटक में स्थान और समय को दृश्यों के माध्यम से दिखाना होता है। कहानी में वर्णित कई स्थानों को एक ही मंच पर दर्शाना मुश्किल हो सकता है। समय के संदर्भ में, नाटक में समय का प्रवाह अधिक तेज होता है।
    • भाषा और व्याकरण: कहानी में लेखक अपनी भावनाओं को विस्तार से व्यक्त कर सकता है, लेकिन नाटक में संवादों को अधिक संक्षिप्त और प्रभावशाली होना चाहिए।
    • दृश्य संगठन: नाटक में दृश्य संगठन बहुत महत्वपूर्ण होता है। एक अच्छा दृश्य दर्शकों को कहानी में खींच सकता है।
    • नाटकीय प्रभाव: नाटक में भावनाओं को केवल शब्दों से नहीं, बल्कि अभिनय, संगीत और दृश्यों के माध्यम से भी व्यक्त किया जाता है।

    अतिरिक्त चुनौतियाँ:

    • चरित्र विकास: कहानी में पात्रों का विकास धीरे-धीरे होता है, जबकि नाटक में पात्रों को जल्दी से दर्शकों से परिचित कराना होता है।
    • कथानक: कहानी में कथानक अधिक जटिल हो सकता है, जबकि नाटक में कथानक सरल और सीधा होना चाहिए।
    • शैली: कहानी और नाटक की शैली अलग-अलग होती है। कहानी को नाटक में बदलते समय, कहानी की शैली को नाटक की शैली के अनुरूप बनाना होता है।
    • दर्शक: कहानी को कोई भी अकेले पढ़ सकता है, लेकिन नाटक को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया जाता है। इसलिए, नाटक को दर्शकों के लिए अधिक आकर्षक बनाना होता है।                                                    ____________________________________________________________________________
    • कहानी के नाट्य रूपांतरण में संवाद के महत्व पर  टिप्पणी करें -CBSE प्रतिदर्श प्रश्न पत्र 2023 , 

    •                                   नाटक में संवादों की अहम भूमिका होती है। वे पात्रों को जीवंत बनाते हैं, कहानी को आगे बढ़ाते हैं और दर्शकों को कहानी में खींचते हैं।
      • संक्षिप्त और स्पष्ट: संवाद सीधे और संक्षिप्त होने चाहिए ताकि दर्शक उन्हें आसानी से समझ सकें।
      • पात्रानुकूल: हर पात्र के संवाद उसके व्यक्तित्व और पृष्ठभूमि के अनुरूप होने चाहिए।
      • प्रसंगानुकूल: संवाद कहानी के उस हिस्से के अनुरूप होना चाहिए जिसमें वे बोले जा रहे हैं।
      • बोलचाल की भाषा: जटिल शब्दों के बजाय सरल और आम बोलचाल की भाषा का उपयोग करना चाहिए।
      • कथानक को गति देना: संवादों से कहानी को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है।
      • चरित्र चित्रण: संवादों के माध्यम से पात्रों के व्यक्तित्व को गहराई से दिखाया जा सकता है।
      • दृश्य के अनुकूल: संवादों को दृश्य के अनुरूप ढालना चाहिए, यानी वे दृश्य में हो रही घटनाओं को स्पष्ट करें।
      • सामाजिक और आर्थिक स्तर: संवादों से पात्रों का सामाजिक और आर्थिक स्तर पता चलना चाहिए।

      संक्षेप में: नाटक में संवाद कहानी की जान होते हैं। वे पात्रों को जीवंत बनाते हैं, कहानी को आगे बढ़ाते हैं और दर्शकों को कहानी में शामिल करते हैं। इसलिए, संवादों को सावधानीपूर्वक लिखना बहुत जरूरी है।

    रविवार, दिसंबर 11, 2022

    के.वि.एस . सीबीएसई , एन वि एस , NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 15 नौकर( naukar)

    निबंध से

    प्रश्न 1. आश्रम में कॉलेज के छात्रों से गांधी जी ने कौन सा काम करवाया और क्यों?
    उत्तर-  आश्रम में गांधी जी ने कॉलेज के छात्रों से गेहूँ बीनने का काम करवाया।  क्योंकि उनको अपनी अंग्रेज़ी भाषा ज्ञान  बड़ा अहम् था| गांधी जी उनके इस गर्व  को तोड़ना चाहते थे। वे  उन  कॉलेज के विद्यार्थियों को शिक्षा देना चाहते थे कि अधिक पढ़ लेने पर भी हमें छोटे कार्य करेंने में  संकोच नहीं करना चाहिए।

    प्रश्न 2.  ‘आश्रम में गांधी कई ऐसे काम भी करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं।पाठ से तीन ऐसे प्रसंगों को अपने शब्दों में लिखो जो इस बात का प्रमाण हों।
    उत्तर-  गांधी जी आश्रम के अनेक  ऐसे कार्य करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं। ये कार्य हैं-

    ·         आश्रम में अपने हाथ से चक्की से आटा पीसना  थे।

    ·         आश्रम की चक्की को ठीक करने के  लिए घंटों मेहनत करते थे।

    ·         आश्रम के  बरतनों की सफ़ाई अपने हाथों से किया करते थे। वे बरतनों को रगड़-रगड़ कर चमकाते थे।

    ·         वे रसोइघर में सब्जियों को धोने, छीलने, काटने का कार्य स्वयं करते थे।

    ·         गांधी जी रसोईघर के सफ़ाई का पूरा ध्यान रखते थे।

    प्रश्न 3. लंदन में भोज पर बुलाए जाने पर गांधी जी ने क्या किया?
    उत्तर-  जब लंदन में गांधी जी को वहाँ के छात्रों ने भोज पर बुलाया तो गांधी जी समय से पहले पहुँचकर तश्तरियाँ धोने, सब्जी साफ़ करने तथा अन्य छोटे-मोटे काम करने में सहायता करने लगे।

    प्रश्न 4. गांधी जी ने श्रीमती पोलक के बच्चे को दूध कैसे छुड़वाया?
    उत्तर- गाँधी जी को बच्चों से बहुत प्रेम था  जब में जेल से छुट्टे तो देखते है कि उनके मित्र पोलक का बच्चा रात को दूध पीने के लिए अपनी माँ को सारी रात जगाए रखता था। जिस कारण  वे काफ़ी कमज़ोर हो गई थीं। गांधी जी ने बच्चे की देखभाल का काम अपने हाथों में ले लिया। रात को देर रात को घर देर से पहुँचने पर भी श्रीमती पोलक के बिस्तर से बच्चे को उठाकर अपने बिस्तर पर लिटा लेते  थे। उसे पानी पिलाने के लिए एक बरतन में। पानी भरकर भी रख लेते थे। बच्चे को पंद्रह दिन तक उन्होंने अपने साथ बिस्तर पर सुलाया। अपनी माँ से पंद्रह दिन तक अलग सोने पर बच्चे ने माँ का दूध छोड़ दिया।

    प्रश्न 5. आश्रम में काम करने या करवाने का कौन सा तरीका गांधी जी अपनाते थे? इस पाठ पढ़कर लिखो।

    उत्तर- आश्रम में गांधी जी स्वयं काम करते थे तथा दूसरों से काम करवाने में सख्ती बरतते थे, पर वे अपना काम किसी और से करवाना पसंद नहीं करते थे। वे किसी के पूछने पर उसे तुरंत काम  बता देते थे। गांधी जी को स्वयं काम करते देखकर कोई भी मना नहीं कर पाता था। वे काम करने वालों को कभी नौकर नहीं समझते थे, वरन उन्हें भाई या बहन मानते थे। इससे काम न करने की सोचने वाला भी काम करने को प्रेरित हो जाता था। 

    गुरुवार, मई 14, 2020

    कथा महाराज भरतरी की


    महर्षि वेद व्यास कहते है कि धर्म युक्त आचरण से   हमें अर्थ,काम और मोक्ष को प्राप्त करना चहिये |क्योंकि अगर आप का आचरण धर्म से युक्त नहीं है तो  अधर्म से कमाया गया अर्थ और प्राप्त काम पतन का कारण है |अगर काम में धर्म नहीं है तो विनाशकारी होता है  आज जो परिवार टूट रहे है उसका कारण केवल यह  है कि हम धर्म युक्त आचरण से दूर हो गये है |
    यां चिन्तयामि सततं मायि सा विरक्ता,
    साप्यन्य मिच्छ्ति जनं म जानोअन्यमक्त||
    अस्म्स्कृते च परीतुष्यति काचिदन्या,
    धिक्ताम् च तं च मदनम् च इमाम च माम् च ||
     मैं जिसका चिंतन करता हूँ वह मुझ से विरक्त होकर किसी दुसरे(पुरूष) की इच्छा करती है. और वह पुरूष किसी दूसरी स्त्री पर आसक्त है और वह स्त्री हम से प्रसन्न है |इसलिए तीनों को धिक्कार है और मुझे धिक्कार है जो इस सांसारिक झंझट में पड़ा हूँ |कामदेव को तो और भी धिक्कार है जो सब को नचा रहा है |
      इन पक्तियों के रचनाकार महाराज भरतरी की जीवन कथा  को पढ़ना और समझना चाहियें | महाराज भरतरी उज्जैन के महाराज और विक्रमादित्य के बड़े भाई थे|इनकी तीन रनिया थी जिसमे सबसे छोटी रानी का नाम पिंगला था जिससे महाराज को अत्यधिक स्नेह था, जबकि रानी को नगर कोतवाल से स्नेह था |
    एक दिन महाराज के दरबार में एक सन्यासी आते है और एक  चमत्कारी फल देकर चले जाते है । राजा ने फल लेकर सोचा कि फल खाकर जीवन भर जवानी और सुंदरता बनी रहेगी पर उनकी प्रिय रानीबूढी हो जाएगी तो अच्छा नहीं होगा  । यह सोचकर राजा ने पिंगला को वह फल दे दिया।

    जब राजा ने वह चमत्कारी फल रानी को दिया तो रानी ने सोचा कि यह फल यदि कोतवाल खाएगा तो वह लंबे समय तक उसकी मनोकामना  की पूर्ति कर सकेगा। रानी ने यह सोचकर चमत्कारी फल कोतवाल को दे दिया।
     कोतवाल  महोदय एक नगर गणिका  से प्रेम करते थे इस कारण उसने चमत्कारी फल उसे दे दिया। जिससे नगर गणिका  सदैव जवान और सुंदर बनी रहे। नगर गणिका का स्नेह राजा से था उसने वह फल राजा को दिया |फल देखते ही राजा को झटका लगा और उसी समय राज्य का त्याग कर दिया |जंगल में जाकर एक गुफा में तपस्या की और भरतरी शतक की रचना की | भरतरी शतक के तीन खंड है निति शतक,श्रृंगार शतक और वौराग्य शतक |


    रविवार, मई 10, 2020

    हिन्दी साहित्य के इतिहास के लेखन का प्रयास


    भक्तमाल,चौरासी वैष्णव की वार्ता,दो सौ बावन वैष्णव की वार्ता ( इन सभी ग्रंथो में कवियों के  जीवन परिचय का उल्लेख किया गया परन्तु इतिहास परक दृष्टिकोण नही रहा है |)

    हिन्दी साहित्य के इतिहास को  लिखने का पहला प्रयास करने का श्रेय  फ्रेंच विद्वान ग्रार्सा डी तासीको दिया जाता है |इनके  ग्रन्थ का नाम इसवार  द लासितरेत्युर रहुई ए हिन्दुस्तानी |इस ग्रंथ में अंग्रेंजी के वर्णों के अनुसार उर्दू और हिन्दी के कवियों का वर्णन किया गया है |परन्तु काल विभाजन नहीं किया गया |



    शिव सिंह सेगर—शिव सिंह सरोज (1 हजार कवियों के जीवन चरित्र और उनकी रचनाओं का वर्णन किया गया है )



    जार्ज ग्रियसन-दि माडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर आँफ हिन्दुस्तानी (पहली बार काल विभाजन करने का प्रयास किया गया | इन्होने हिन्दी साहित्य को कुल 11 भागो में बाटा है- (1)चारण काल(2)पंद्रहवी शती का धार्मिक पुनर्जागरण काल (3)जायसी की कविता(4)ब्रज का कृष्णा-सम्प्रदाय(5)मुग़ल दरबार(6)तुलसीदास(7)रीति काव्य(8)तुलसीदास के परवर्ती (9 )अट्ठारहवीं शताब्दी(10)कंपनी के शासन के अधीन भारत(11)महारानी विक्टोरिया के शासन में हिन्दुस्थान



    मिश्र बन्धु( गणेश बिहारी,माननीय श्याम बिहारी मिश्र,रायबहादुर शुकदेवबिहारी मिश्र,1913)- सफल काल विभाजन-
    इनका विभाजन इस प्रकार  है-
    आरंभिक काल/पूर्वारम्भिक काल (600-1343 वि)
                     उत्तराम्भिक काल (1344-1444वि.)
    माध्यमिक काल/पूर्व  माध्यमिक काल (1445-1560 )
                  प्रोढ़ माध्यमिक काल(1561-1580  )
    अलंकृत काल/पूर्वालंकृत काल (1681-1790)
              उत्तरालंकृत काल(1791-1889)
    परिवर्तन काल  (1890-1925 वि.)
    वर्तमान काल (1926 वि. से अब तक )

    रामचन्द्र शुक्ल—हिन्दी साहित्य का इतिहास ( 1929)- इन्होने सर्वमान्य काल विभाजन किया,जो आज भी थोड़े बहुत परिवर्तन के सभी इतिहासकार द्वारा मान्यता प्राप्त है |


    आदिकाल (वीरगाथा काल)-संवत (1050-1375)
    पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल)- संवत्(1375-
    उत्तर मध्यकाल(रीतिकाल)संवत् 1700-से 1900
    आधुनिक काल(गद्य काल )संवत् 1900 से अब तक
    बाबू श्याम सुन्दर दास—आदि काल (वीरगाथा का युग 1000 से  1400संवत् तक )
    पूर्व मध्य काल-भक्ति का युग (संवत् 1400 से 1700 संवत् तक )
    उत्तर मध्य काल-रीति ग्रंथो का युग,संवत् 1700 से 1900 तक
    आधुनिक युग (नवीन विकास का युग ,संवत् 1900 अब तक

    गणपति चंद्र गुप्ता- हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास |इनका विभाजन इस प्रकार से है |

    प्रारंभिक काल (1184-1350 ई )
    पूर्व मध्य काल (1350-1600 ई )
    उत्तर मध्य काल (1600-1857ई)
    आधुनिक काल (1857 ई )
    डॉ.नगेन्द्र--- हिन्दी साहित्य का वृहद् इतिहास
    आदिकाल -7वीं शती के मध्य से 14वीं शती के मध्य तक  
    भक्तिकाल-14वीं शती के मध्य से 17वीं शती के मध्य तक  
    रीतिकाल 17 वीं शती के मध्य से 19वीं शती के मध्य तक
    आधुनिक काल 19वीं शती के मध्य से अब तक

    गुरुवार, मई 07, 2020

    तार सप्तक के कवि-


    तार सप्तक(1943)—मुक्तिबोध,भारत भूषण अग्रवाल,अज्ञेय,गिरजाकुमार माथुर,प्रभाकर माचवे,भारत भूषण अग्रवाल,नेमीचन्द्र जैन,रामविलास शर्मा

    दूसरा सप्तक – रघुवीर सहाय, धर्मवीर भारती,भवानी प्रसाद मिश्रा,नरेश मेहता, शमशेर बहादुर, शकुन्तला माथुर,हरिनारायण व्यास|

    तीसरा सप्तक- केदारनाथ सिंह,  कीर्ति चौधरी,प्रयाग नारायण त्रिपाठी,कुंवरनारायण, विजयदेवनारायण साही,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,मदनवात्सायन

    चौथा सप्तक- राजेन्द्र किशोर,नन्दकिशोर आचार्य,श्रीराम वर्मा,सुमनराजे,नन्दकिशोर आचार्य,स्वदेश भारती,अवधेश कुमार,रामकुमार कुम्भज    

    शुक्रवार, मई 01, 2020

    वीभत्स रस


    घृणा उत्पन्न करने वाले अमांगलिक,अश्लील दृश्यों को देख कर दृश्यों के प्रति जुगुप्सा का  भाव परिपुष्ट हो कर वीभत्स रस उत्पन्न करता है |

    सिर पर बैठ्यो काग आँख दोउ खात निकारत |
    खीचत जिभहिं स्यार अतिहि आनन्द उर धारत ||
    गीध जांघि को खोदि-खोदि कै मांस उघारत |
    स्वान अंगुरिन काटी-काटी कै खात  विदारत ||


    ओझरी की झोरी काँधे,आंतनि की सेल्ही बांधें,
    मुंड के कमण्डलु,खपर किये कोरि कै
    जोगिनी झुदुंग झुण्ड-झुण्ड बनी तापसी सी
     तीर-तीर बैठी सो समर सरि खोरि कै||
    सोनित सो सानि सानि गूदा खात सतुआ से
    प्रेत एक पियत बहोरि घोरि-घोरि कै |
    तुलसी बैताल भूत साथ लिए भूतनाथ
      हेरि हेरि हँसत है हाथ- हार जोरि कै |


    आँखे निकाल उड़ जाते,क्षण भर उड़ क्र आ जाते |
    शव जीभ खीचकर कौवे,चुभला-चुभला कर खाते|
    भोजन में श्वान लगे मुरदे थे भू पर लेटे |
    खा मांस चाट लेते थे,चटनी सम बहते बेटे |




    शनिवार, अप्रैल 18, 2020

    जनसंचार के प्रमुख प्रश्न जो सीबीएसई में आये हैं |



    1.     संचार किसे कहते हैं ?
    2.     संचार के भेद लिखिए ।
    3.     जनसंचार से क्या अभिप्राय है ?
    4.     संचार तथा जनसंचार में क्या अंतर है?
    5.     जनसंचार के प्रमुख माध्यमों के नाम लिखिए ।
    6.     जनसंचार की कौन-कौन सी विशेषताएँ हैं?
    7.     जनसंचार के प्रमुख कार्यों को लिखिए ।
    8.     पत्रकारिता क्या है?
    9.     पत्रकारिता के विकास में कौन-सा मूल भाव सक्रिय रहता है?
    10    सीधा प्रसारण किसे कहते हैं?
    11.    समाचार किसे कहते हैं?
    12.    कोई घटना समाचार कैसे बनती है?
    13.    समाचार के तत्त्व लिखिए ।
    14.    डेड लाइन किसे कहते हैं?
    15.    संपादकीय क्या है?
    16.    संपादकीय पृष्ठ से आप क्या समझते हैं?
    17.    पत्रकारिता के किन्हीं दो भेदों के नाम लिखिए।
    18.    वॉचडॉग पत्रकारिता क्या है?
    19.    पीतपत्रकारिता से आप क्या समझते हैं?
    20.    पेज-थ्री पत्रकारिता किसे कहते
    21               जनसंचार किसे कहते हैं?
    22.    जनसंचार के प्रमुख माध्यमों का उल्लेख कीजिए ।  
    23.    जनसंचार का सबसे पुराना माध्यम कौन-सा है?
    24.    मुद्रण का प्रारंभ सबसे पहले किस देश में हुआ ?
    25.    आधुनिक छापाखाने का आविष्कार कहाँ, कब और किसने किया?
    26.    भारत मे पहला छापाखाना कब, कहाँ, किसने और किस उद्देश्य से खोला था?
    27.    डेड लाइन क्या होती है?
    28.    रेडियो किस प्रकार का माध्यम है?
    29.    रेडियो के समाचार किस शैली में लिखे जाते हैं?
    30.    समाचार-लेखन की सर्वाधिक लोकप्रिय शैली कौन-सी है?
    31.    इंट्रो किसे कहते हैं?
    32.    टेलीविजन, प्रिंट तथा रेडियो से किस प्रकार भिन्न है ?
    33.    नेट साउण्डकिसे कहते हैं?
    34.    इंटरनेट प्रयोक्ताओं की लगातार वृद्धि के क्या कारण हैं?
    35.    इंटरनेट पत्रकारिता से आप क्या समझते हैं?
    36.    इंटरनेट पत्रकारिता के विकासक्रम को लिखिए ।
    37.    भारत में इंटरनेट पत्रकारिता का प्रारंभ कब से माना जाता है।
    38.    भारत में सच्चे अर्थों में वेब पत्रकारिता करने वाली साइटों के नाम लिखिए ।
    39.    इंटरनेट पर पत्रकारिता करने वाली भारत की पहली साइट कौ-सी है?
    40.    भारत में वेबसाइट पर विशुद्ध पत्रकारिता करने का श्रेय किस साइट को जाता है?
    41.    उस अखबार का नाम लिखिए जो केवल नेट पर ही  उपलब्ध है?
    42.    हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ साइट कौन-सी है
    43 नेट पर हिन्दी की कौन-कौन सी साहित्यिक पत्रिकाएँ उपलब्ध हैं?
    44 हिन्दी वेब पत्रकारिता की समस्याओं को लिखिए
    45.    पत्रकारीय लेखन किसे कहते हैं?
    46.    पत्रकारीय लेखन के उद्देश्य लिखिए।
    47.    पत्रकार कितने प्रकार के होते हैं?
    48.    उल्टा पिरामिड शैली का विकास कब और क्यों हुआ?
    49.    समाचार के छ: ककार लिखिए ।
    50.    इंट्रो क्या है?
    51.    फ़ीचर किसे कहते हैं?
    52.    फ़ीचर किस शैली में लिखा जाता है?
    53.    फ़ीचर व समाचार में क्या अंतर है?
    54.    विशेष रिपोर्ट से आप क्या समझते हैं?
    55.    विशेष रिपोर्ट के भेद लिखिए।
    56.    इन्डेप्थ रिपोर्ट किसे कहते हैं?
    57.    विचारपरक लेखन क्या है ? तथा उसके अन्तर्गत किस प्रकार के लेख आते हैं?
    58.    .संपादकीय में लेखक का नाम क्यों नहीं लिखा जाता ?
    59.    स्तम्भ लेखन क्या है ?
    60.    साक्षात्कार से क्या अभिप्राय है?
    61.    विशेष लेखन क्या है?
    62.    विशेष लेखन के क्षेत्र लिखिए।
    63.    डेस्क किसे कहते हैं?
    64.    बीट से आप क्या समझते हैं?
    65.      बीट रिपोर्टिंग क्या है?
    66.    बीट रिपोर्टिंग तथा विशेषीकृत रिपोर्टिंग में क्या अंतर है?
    67.    विशेष संवाददाता किसे कहते हैं?
      68              विज्ञापन किसे कहते हैं ?
    69.    भारत में नियमित अपडेट साइटों के नाम बताइए।
    70.    दूरदर्शन पर प्रसारित समाचार किन-किन चरणों से होकर दर्शकों तक पहुँचते हैं?
    71.    मुद्रित माध्यम की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?
    72.    कम्प्यूटर के लोकप्रिय होने का प्रमुख कारण बताइए।
    73.    इलेक्ट्रोनिक मीडिया क्या है?
    74.    पत्रकारिता के विकास में कौन-सा मूल्भाव सक्रिय रह्ता है?
    75.    समाचारपत्र में संपादक की भूमिका क्या होती है?
    76.    फ़ीचर में न्यूनतम व अधिकतम शब्दों की सीमा कितनी होनी चाहिए?
    77.    फ़ीचर किस शैली में लिखा जाता है?
    78.    . संपादन के किन्हीं दो सिद्धांतों को लिखिए।
    79.    आडिएंस से आप क्या समझते हैं?
    80.    कार्टून कोना क्या है?
    81.    स्टिंग आपरेशन क्या है?
    82.    ड्राई एंकर से क्या अभिप्राय है?
    83.    ऑप-एड पृष्ठ किसे कहते हैं
    84.    न्यूजपेग क्या है ?
    85.    एफ़०एम० क्या है?
    86.    अपडेटिंग से क्या अभिप्राय है?

    जनसंचार भाग 3


           .टी. वी पर प्रसारित समाचार के विभिन्न रूप --- 
           फ्लैस या ब्रेकिग समाचार(न्यूज़ )बड़ी खबर को कम से कम शब्दों में दर्शकों तक पहुचाना जैसे लाल किले प्रधानमंत्री का भाषण ,राजीव गाँधी की  हत्या आदि|
           ड्राई एंकरसमाचार को एंकर दृश्य उपस्थित होने से पहले दर्शको को बताता है कि कहाँ, कब क्या ,कैसे घटना हुई |
           फोन इन— एंकर दर्शक को रिपोर्ट से फोन से बात करके समाचार देता है |रिपोर्टर घटना स्थल पर होता हैं  |
           एंकरविजुअल ----जब किसी घटना को घटना के दृश्यों के साथ दिखा कर घटना के बारे में एंकर के द्वारा पढ़ा जाता है तो वह  एंकर विजुअल है |
           एंकर बाइट----जब किसी घटना की सूचना के साथ घटना के प्रत्यक्षदर्शी या संबंधित व्यक्ति का कथन या बातचीत भी दिखलाई जाती है तो उसे  एंकर बाइट कहते है |
           लाइव --- घटना का सीधा प्रसारण किया जाता है |
           एंकर पैकेज में टीवी पत्रकारिता के सारे तत्व मैजूद रहते है |
           सामान्य लेखन कि जगह पर जब विशेष लेखन किया जाता है तो उसे पत्रकारिता कि भाषा में बिट कहते है जैसे खेल ,फ़िल्म आदि , विषय विशेषज्ञ एक किसी अलग स्थान में बैठ कर यह खबर  लिखते है जिसे डेस्क कहते हैं |
           जब किसी पत्रकार को किसी विषय कि गहराई पता हो अथार्त वह उस विषय का जानकर हो तथा वह उस क्षेत्र में बोलिजाने वाली भाषा का भी जानकर हो , तब वह जो वह रिपोर्टिग करता है वह  विशेषीकृत रिपोर्टिंग है जैसे खेल ,युद्ध सिनेमा आदि |इस के रिपोर्टर को विशेष संवाददाता कहते है |
           संपादन का अर्थ है किसी लिखित सामग्री को त्रुटीविहीन करके उसे पढ़ने योग्य बनाना होता है | संपादक मंडल में संपादक ,सहायक संपादक ,मुख्य संपादक ,समाचार संपादक ,मुख्य उपसंपादक आदि |
           संपादकजो खबरों को काट-छाट कर छपने योग्य बनाता है|संपादक रिपोर्टर केद्वारा दी गयी लिखित सामग्री को काटा छाट  कर ,अशुद्धियो को शुद्ध  करते है |
           संपादकीय --  किसी समाचार पत्र के सोच एवं विचार धारा के अनुसार जब संपादक या संपादक मंडल का सदस्य को लेख लिखता है तो वह संपादकीय है| संपादकीय लिखने वाले का नाम संपादकीय के बाद नही लिखा जाता है क्योकि यह समाचार पत्र कि राय होती है न कि संपादक की राय |
           संपादन के सिद्धांत --- तथ्यों कि शुद्धता---
              प्रमाणित तथ्यों (सामग्री ) के आधार पर खबर को लिखे ,
              उसे तोड़ मरोड़ के न  लिखे
               वस्तुपरकताघटना को उसी रूप में प्रस्तुत कि जाएँ जिस रूप में घटित हो उस में पत्र की विचारधारा के अनुसार झुकाव न हो |
               निष्पक्षता किसी घटना  को प्रस्तुत करते समय  घटना एवं आशय को किसी पक्ष में झुकाव न हो |
           हिन्दी का पहला समाचार पत्र उदंर्ड मार्तंड संपादक पंडित जुगल किशोर शुक्ला , सन १८२६ में |
           आजादी के पहले के पत्रकार भारतेंदु हरिश्चंद्र ,महात्मा गाँधी ,लोकमान्य  तिलक ,मदनमोहन मालवीय गणेश शंकर विद्यार्थी
           आजादी के बाद के पत्रकार --  अज्ञेय ,धर्मवीर भारतीय ,रघुवीर सहाय
           आजादी के पहले कि पत्रिका हंस , कर्मवीर ,आज ,प्रदीप आदि
           आजादी के बाद कि पत्रिकानव भारत टाइम्स ,जनसत्ता ,अमर उजाला आदि
           समाचार एजेंसिया पी टी आई (प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इण्डिया ),भाषा ,यू.एन.आई .(यूनीवार्ता ) ये एजेंसिया ही समाचार देने के लिए स्रोत है |
           भारत का पहला पत्र बंगाल  बजट है जिसके संपादक  जेम्स आगस्टा था
           पत्रकार कि बैसाखियाँ सच्चाई ,संतुलन ,निष्पक्षता ,स्पष्टता |
           सिनेमा का अविष्कारक थामस अल्वा एडिसन को कहाँ जाता है और  यह १८८३ में  मिनेटिस्कोप कि खोज के साथ है
           १८९४ में फ्रांस में पहली फ़िल्म बनी THE ARRIVAL OF TRAIN |
           भारत कि पहली फिल्म 1913  में दादा साहेब के द्वारा राजा हरीशचंद्र  बनाई गयी |
           में पहली बोलती फ़िल्म आलम आरा आई |
           रेडियो का अविष्कारक जे मार्कोनी है जो इटली का  वैज्ञानिक था ||
           इंटरनेट पत्रकारिता : इंटरनेट पर समाचारों का प्रकाशन या
            आदान-प्रदान इंटरनेट पत्रकारिता कहलाता है। इंटरनेट
           पत्रकारिता दो रूपों में होती है। प्रथम- समाचार संप्रेषण के
            लिए नेट का प्रयोग करना । दूसरा- रिपोर्टर अपने समाचार
           को ई-मेल  द्वारा अन्यत्र भेजने    समाचार को संकलित करने  तथा  उसकी सत्यता, विश्वसनीयता सिद्ध करने तथा उसकी सत्यता, विश्वसनीयता सिद्ध करने के लिए  करता है।
    इंटरनेट पत्रकारिता का इतिहास:
              विश्व-स्तर पर इंटरनेट पत्रकारिता का विकास
           निम्नलिखित चरणों में हुआ-
               (१) प्रथम चरण------- १९८२ से १९९२
               (२) द्वितीय चरण------- १९९३ से २००१
               (३) तृतीय चरण------- २००२ से अब तक
           भारत में इंटरनेट पत्रकारिता का पहला चरण १९९३ से तथा दूसरा चरण  २००३ से शुरू माना जाता है। भारत में सच्चे अर्थों में वेब
           पत्रकारिता करने वाली साइटें रीडिफ़ डॉट कॉम’, इंडिया इफ़ोलाइन’ व सीफ़ीहैं । रीडिफ़ को भारत की पहली साइट कहा जाता है ।


             वेब साइट पर विशुद्ध पत्रकारिता  शुरू करने का श्रेय  तहलका डॉट्कॉमको जाता है।
           हिंदी में नेट पत्रकारिता वेब दुनियाके साथ शुरू हुई। यह हिन्दी का संपूर्ण पोर्टल है।  प्रभा साक्षी  नाम का अखबार  प्रिंट रूप में  न होकर सिर्फ़ नेट पर ही उपलब्ध है। आज पत्रकारिता के लिहाज से हिन्दी की सर्व श्रेष्ठ साइट बीबीसी की है, जो इंटरनेट  के मानदंडों के अनुसार चल रही है। हिन्दी वेब जगत में अनुभूति’, अभिव्यक्ति, हिन्दी नेस्ट, सराय आदि साहित्यिक पत्रिकाएँ भी अच्छा काम कर रही हैं।  अभी हिन्दी वेब जगत की सबसे बडी़ समस्या मानक की बोर्ड तथा फ़ोंट  की है ।  डायनमिक फ़ौंट  के अभाव के कारण हिन्दी की ज्यादातर साइटें खुलती ही नहीं हैं ।
            1930 में भारत में आल इण्डिया रेडियो कि स्थापना|
    1997 में  प्रसार भारती कि स्थापना कर इसके अधीन रेडियो और दूरदर्शन को दे  दिया गया