जब एक ही शब्द की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार हो परन्तु उनके अर्थ अलग
हो तो वहां यमक अलंकार होता है |
यमक के प्रयोग से कविता में
चमत्कार और सुन्दरता आ जाती है |
एक शब्द फिर फिर जहाँ परै अनेकन बार
|
अर्थ और ही और हो सो यमकालंकार ||
§कनक
कनक तें सौ गुनी मादकता अधिकाय अधिकाय |
या खाये बौराय जग वा पाये बौराय||
तरणी के
संग तरल तरंग में
तरणी डूबी थी हमारी ताल में
तीन
बेर खाती थी वो तीन बेर खाती है |
काली
घटा का घमण्ड घटा |
माला
फेरत जुग भया,गया न मनका फेर |
कर का मनका डारि के,मन का मनका फेर |
|कहै
कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी |
जेते
तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं |
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