निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति के मूल
बिन निज भाषा-ज्ञान के मिटत न हिय को सूल |
अंगेजी पढ़ी के जदपि,सब गुन होत प्रवीन
पै निज भषा- ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन
इस पद को सुन कर आप जान गयें होगे की आज मै जिस लेखक, कवि और पत्रकार कि बात कर रहा हूँ उनका नाम है भारतेंदु हरिश्चंद्र |
भारतेंदु हरिश्चंद्र जी का जन्म १८५० ई.उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ था |इनके पिता बाबु गोपाल चन्द्र स्वयं में एक महान नाटककार और साहित्य प्रेमी थे |
(1) भारतेंदु बाबु ने सन १८७० कविता वर्धनी सभा की स्थापना की इसके माध्यम से कवियों को प्रोत्साहित किया
(2) 1873 पेन रीडिंग क्लब की स्थापना की गयी | इस क्लब में लेख का पाठ होता था जिसकों बाद में हरिश्चंद्र मैगज़ीन एवं हरिश्चंदिका में छपते थे |
(3)भारतेंदु बाबू वैष्णव सम्प्रदाय से दीक्षित थे इस कारण धार्मिक एवं ईश्वर सम्बन्धित विचार के प्रचार हेतु तदीय समाज कि स्थापना की |
(1) कवि वचन सुधा(1868ई.)-
(2) हरिश्चन्द्र मैगजीन(1873ई.)-
(3) हरिश्चन्द्र चन्द्रिका(1873ई.)
वस्तुतः हरिश्चन्द्र मैगजीन ही बाद में हरिश्चन्द्रचन्द्रिका हो गयी |
(4)स्त्री शिक्षा हेतु बालसुबोधनी का प्रकाशन किया संवत् 1931|
नाटक-
संवत् 1930 में भारतेंदु बाबू ने अपना पहला नाटक “वैदिकी हिंसा हिंसा न भवती”नामक प्रहसन लिखा |
भारतेंदु बाबू ने अपनी नाटक नामक पुस्तक में लिखा है | इसके पहले दो ही नाटक लिखा गया था-
(1) महाराज विश्वनाथ सिंह का “आनंद रघुनंदन”
(2) बाबू गोपाल चन्द्र का नहुष नाटक
दोनों नाटकों कि भाषा ब्रज है
(1) वैदिक हिंसा हिंसा न भवती- इसमें धर्म और उपासना नाम से समाज में प्रचलित अनेक अनंचारों का जघन्य रूप दिखाते है |
(2)चन्द्रावली- प्रेम का आदर्श है
(3) विषस्य विषमौषधम – देशी रजवाड़ों की कुचक्रपूर्ण परिस्थिति दिखाने के लिए रचा गया |
(4) भारतदुदर्शा- देश कि स्थिति को मनोरंजक ढंग से
(5) नीलदेवी- पंजाब के एक हिन्दू राजा पर मुसलमानों कि चढ़ाई का एतिहासिक वृत्त लेकर लिखा गया |
(6) अधेरनगरी- इस नाटक में अंग्रेजी राज को अंधेर नगरी कहा गया है
(7) प्रेमयोगिनी- वर्तमान पाखंडमय धार्मिक और समाजिक जीवन के मध्य अपनी परिस्थिति का चित्रण किया है |
(8) सतीप्रताप(अधुरा)
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य-
1 कश्मीर कुसुम और बादशाह दर्पण लिखकर इतिहास लेखन के का मार्ग दिखाया |
2 भारतेंदु मंडल के लेखकों के नाम- उपाध्याय पंडित बदरी नारायण चौधरी ,पंडित प्रतापनारायण मिश्र, बाबू तोताराम,ठाकुर जगमोहन सिंह,लाला श्री निवास दास, पंडित केशवराम भट्ट,पंडित अम्बिका दत्त व्यास, पंडित राधाचरण गोस्वामी |
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