शनिवार, सितंबर 16, 2023

विद्यालय में नैतिक शिक्षा की आवश्कता पर भाषण

प्रिय सहपाठीयों और शिक्षकगण,


आज मैं एक ऐसे विषय पर भाषण देने के लिए यहाँ खड़ा हूँ, जिसे ज़्यादा तर उपेक्षित किया जाता है, लेकिन जिसका महत्व हमारे जीवन में सबसे ऊंचा है। वह विषय है - विद्यालय में नैतिक मूल्यों की शिक्षा।


जब भी हम विद्यालय और शिक्षा की बात करते हैं, हम सिर्फ अंक, विज्ञान, साहित्य और कला की ही बात करते हैं। क्या हमने कभी यह सोचा है कि जीवन में सफलता पाने के लिए सिर्फ यही चीजें काफी नहीं हैं? जीवन में सच्ची सफलता और संतोष पाने के लिए नैतिक मूल्यों का ज्ञान भी जरूरी है। 


जीवन में जब हम संकट से गुजरते हैं, तब हमें वास्तविक ज्ञान की नहीं, बल्कि नैतिक मूल्यों की जरूरत पड़ती है। वही मूल्य हमें ठोस और सही निर्णय लेने में मदद करते हैं।


आज का समय ऐसा है कि हर कोई प्रतिस्पर्धा में बजाय सहयोग में विश्वास करता है। हमें यह समझना है कि सहयोग और समर्थन से ही हम आगे बढ़ सकते हैं। 


विद्यालयों में नैतिक मूल्यों की शिक्षा से ही बच्चों में सहयोग, समझदारी, समरसता, संवेदनशीलता और समझ विकसित होती है। वे समझते हैं कि जीवन केवल स्वीकार या अस्वीकार के बीच का चयन नहीं है, बल्कि यह समझने की कला है कि किसे कब, कैसे और क्योस्वकार किया जाए। 


नैतिक मूल्यों की शिक्षा से ही एक व्यक्ति अपने जीवन में उचित संतुलन पाने में समर्थ होता है। यह सिखाता है कि कैसे दूसरों के साथ सहयोग में जीवन जीया जाए, कैसे समझदारी से निर्णय लिए जाएं और कैसे जीवन के चुनौतियों का सामना किया जाए। 


प्रिय मित्रों, जीवन की राह में हमें कई बार ऐसी परिस्थितियां मिलती हैं जब हमें अपने आप को खोजना पड़ता है। इस समय, हमारे पास जो नैतिक मूल्य होते हैं, वही हमें सही मार्ग दिखाते हैं। 


अगर हम अपने बच्चों को सिर्फ पाठ्यक्रम की शिक्षा देंगे और उन्हें नैतिक मूल्यों की शिक्षा नहीं देंगे, तो वे शायद अच्छे छात्र बन सकते हैं, लेकिन वे अच्छे नागरिक नहीं बन पाएंगे। 


अंत में, मैं यह कहना चाहता हूँ कि हमें अपने बच्चों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने की ज़रूरत है, ताकि वे न केवल पाठ्यक्रम में, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो सकें। 


धन्यवाद। 


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"मेरे प्रिय साथियों,


आज हम जिस मुद्दे पर चर्चा करने जुटे हैं, वह हमारे समाज और देश की आधुनिकता और विकेन्द्रीकरण की चुनौतियों के बीच हमारे मौलिक मूल्यों का स्थान है।


विद्यालय, वह संस्थान है जहाँ बालक और बालिका अपने जीवन के पहले पाठ मिलते हैं। किताबों से उन्हें गणित, विज्ञान, समाजशास्त्र आदि का ज्ञान मिलता है, लेकिन क्या यही उन्हें जीवन की सच्चाई और इसकी गहराई समझाने के लिए काफी है?


हमारी संस्कृति, जो हर पीढ़ी को अपने आदान-प्रदान की मासूमियत और गहराई के साथ जोड़ती है, वह हमें सिखाती है कि ज्ञान की असली शिक्षा तो जीवन के मूल्यों से ही होती है।


आजकल हम देखते हैं कि तकनीकी उच्चता और आधुनिकता के चक्कर में, हम वह मानवता और साझा करने की भावना खो रहे हैं, जो हमें हमारी पुरानी पीढ़ी से मिली है। नैतिक मूल्य वही जड़ें हैं जो हमें ज़मीन से जुड़े रखती हैं।


मुझे विश्वास है कि हमारे विद्यालय हमें उस आदर्श और संतुलन में ले जा सकते हैं, जिसे हम अपने जीवन में अभिन्न रूप से अपनाना चाहते हैं। हमें सिर्फ शाब्दिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन के मूल मूल्यों को समझाने वाली शिक्षा की जरूरत है।


आइए, हम सभी मिलकर विद्यालयों में नैतिक शिक्षा को उस स्थान तक पहुंचाएं, जिसे वह हक़ीकत में अधिकार है। जय हिन्द 

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आज मैं आप सभी के सामने विद्यालय में नैतिक शिक्षा की आवश्यकता पर अपने विचार रखने जा रहा हूँ।


विद्यालय वह स्थान है जहाँ हमें गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान आदि विषयों की जानकारी मिलती है। लेकिन क्या यही जानकारी हमें एक अच्छे मानव बनाने के लिए पर्याप्त है? उत्तर है नहीं। हमें जीवन में सही और गलत के बीच में अंतर करने की क्षमता भी होनी चाहिए। और यह क्षमता हमें नैतिक शिक्षा से ही मिलती है।


नैतिक शिक्षा हमें जीवन के मौलिक मूल्यों के प्रति जागरूक करती है, जैसे की सत्य, अहिंसा, परोपकार और समझ। इन मूल्यों का जीवन में महत्व बहुत अधिक है। 


आजकल हम देखते हैं कि समाज में अधिकार और धन की दौड़ में लोग अकेला सोचते हैं। उन्हें दूसरों की भलाई की चिंता नहीं होती। इससे समाज में असंतोष और असंतुलन पैदा होता है। नैतिक शिक्षा से हमें समाज में हो रहे अधिकार और धन की दौड़ से उपर उठकर सोचना सिखाया जाता है। 


अंत में मैं कहूंगा कि विद्यालय में नैतिक शिक्षा की आवश्यकता को नकारा नहीं जा सकता। यह हमें न केवल अच्छे विद्यार्थी बनाती है, बल्कि अच्छे मानव भी। धन्यवाद।

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"मेरे प्यारे भारतवासियों,  -

हम जिस भारतीय संस्कृति के मूल्यों को अपनाते हैं, उसमें नैतिकता की महत्वपूर्ण भूमिका है। विद्यालय! वह संस्थान जहां एक बच्चे का मन और मस्तिष्क विकसित होता है। लेकिन क्या सिर्फ गणित और विज्ञान से ही वह विकसित होता है? 

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जब वृक्ष को सिंचाई की जाती है, तो क्या हम सिर्फ उसके तने को ही पानी देते हैं? नहीं, हम उसकी जड़ों को पानी पहुंचाते हैं। और वही जड़ें हैं - नैतिक मूल्य। 


अगर हमारे विद्यालय और हमारी शिक्षा प्रणाली इन नैतिक मूल्यों को अधिग्रहित नहीं करेगी, तो हमारा विकास अधूरा रहेगा। समाज की सेवा, सच्चाई, समरसता - ये हमारी संस्कृति के स्तंभ हैं। 


मुझे पूरा यकीन है कि हमारे विद्यालय हमें उस उच्च नैतिक स्तर पर पहुंचा सकते हैं, जिसे हम सभी चाहते हैं। जय हिन्द

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"मेरे प्यारे साथियों, और मेरे देशवासियों,


हम आज यहाँ एक बहुत महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करने के लिए एकत्रित होते हैं - विद्यालयों में नैतिक शिक्षा की आवश्यकता पर।


जब हम बात करते हैं हमारी प्राचीन संस्कृति और सिखाए गए मूल्यों की, हम उस संस्कृति की बात करते हैं जिसमें नैतिकता और ईमानदारी की सिखावट मुख्य रूप से होती थी।


विद्यालय हमारे जीवन का वह मोड़ है, जहाँ हम सबसे ज्यादा समय बिताते हैं और नई-नई बातों को सीखते हैं। यहां हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी होती है, लेकिन क्या वास्तव में इन अध्ययनों से हमें जीवन में सही मार्गदर्शन के लिए जरूरी नैतिक मूल्यों की समझ होती है?


हमारे पुराने ग्रंथ और शास्त्र हमें नैतिक मूल्यों के महत्व का बोध कराते हैं। वे हमें सिखाते हैं कि जीवन में सच्चाई, समरसता, और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की महत्वपूर्णता क्या होती है।


विद्यालयों में नैतिक शिक्षा का स्थान होना चाहिए, जिससे कि बच्चों को सिर्फ पाठ्यक्रम की जानकारी ही नहीं, बल्कि जीवन में सही मार्ग पर चलने का दिशा भी मिले।


इसलिए, मैं आशा करता हूँ कि हम सभी, समाज में, शिक्षा प्रणाली में, और हमारे विद्यालयों में, नैतिक मूल्यों की महत्वपूर्णता को समझें और उसे प्रोत्साहित करें।


धन्यवाद!"


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"मेरे प्यारे भारतवासियों,


जब हम भारत की अद्वितीय संस्कृति की चर्चा करते हैं, हमें गर्व होता है अपने अतीत पर, जिसमें नैतिक मूल्यों का विशेष स्थान है। आज मैं आपके साथ उसी भारतीय संस्कृति के नैतिक मूल्यों की चर्चा करने जा रहा हूँ, जिसे हमें हमारे विद्यालयों में पुनः स्थापित करने की जरूरत है।


हमारे विद्यालय वह संस्थान हैं जहां हमारा आगामी पीढ़ी अपनी शिक्षा प्राप्त करती है। और यह शिक्षा सिर्फ पुस्तकों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। हमारे इतिहास, संस्कृति और धर्म ने हमें सच्चाई, ईमानदारी, परोपकार और सहयोग के महत्व को सिखाया है। और इन्हीं मूल्यों को हमें हमारी शिक्षा प्रणाली में शामिल करना है।


क्या आपने कभी सोचा है कि जब हम वृक्ष को पानी देते हैं, तो हम उसके पत्तों या तने को नहीं, बल्कि उसकी जड़ों को सिंचते हैं? क्योंकि जड़ ही वृक्ष के जीवन का आधार है। वैसे ही, नैतिक मूल्य हमारे समाज की जड़ हैं।


जब एक बच्चा समझता है कि उसे क्यों सही मार्ग पर चलना चाहिए, जब वह समझता है कि अपने मित्र के साथ सच्चाई और ईमानदारी से पेश आने का महत्व क्या है, तो वह सिर्फ एक अच्छा विद्यार्थी नहीं, बल्कि एक अच्छा नागरिक भी बनता है।


मुझे आशा है कि हम सभी मिलकर इस दिशा में प्रयासरत रहेंगे, और हमारे विद्यालय हमें सिर्फ शास्त्रीय ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन के मूल मूल्यों की भी जानकारी प्रदान करेंगे। 


धन्यवाद, जय हिंद!

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"मित्रों,


आज हम एक ऐसे विषय पर चर्चा कर रहे हैं, जो हमारे समाज की आधारशिला है। हमारे विद्यालय, हमारे शिक्षा प्रणाली में नैतिक शिक्षा की आवश्यकता!


जब मैं छोटा था, तब मेरी माँ मुझे हमेशा अच्छी आदतें और सच्चाई का मार्ग दिखाती थी। क्या आपको याद है जब आपके माता-पिता आपको सही और गलत के बीच का अंतर सिखाते थे? वही शिक्षा कहाँ खो गई?


मित्रों, अगर हम चाहते हैं कि हमारा देश विकसित हो, तो हमें अपने बच्चों को सिर्फ गणित और विज्ञान नहीं, बल्कि जीवन के नैतिक मूल्य भी सिखाने होंगे।


हम अकेले नहीं कर सकते। हमें मिलकर काम करना है! और मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप अपने-अपने घर में, अपने-अपने समाज में, इस दिशा में काम करें।


हमें अपने भारतीय संस्कृति की जड़ों को मजबूती देनी है। हमें सुनिश्चित करना है कि हमारे बच्चे अच्छे नागरिक बनें, जो समाज के प्रति जिम्मेदार भी हों।


और इसमें, मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि आप इस मिशन में हमारे साथ जुड़ें। आइए, हम मिलकर भारत को एक नैतिक मौलिकता पर आधारित देश बनाएं।


धन्यवाद! जय हिंद!"



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