मंगलवार, अक्टूबर 01, 2019

राजभाषा और संविधान


       संविधान के भाग 17 में  अनुच्छेद 343 से 351 तक  राजभाषा का  प्रावधान है |

       इसमें राजभाषा से संबंधित निम्नलिखित प्रावधान है


       हिन्दी भारत की राजभाषा है जो देवनागरी लिपि में लिखी जाती है परन्तु अंको स्वरुप अन्तर्राष्ट्रीय ही होगा  | पारम्परिक हिन्दी में अंको का स्वरुप इस प्रकार है १,,,,,,, ,,| परन्तु अन्तराष्ट्रीय स्वरुप इस प्रकार है 1,2 |

       संविधान लागु होने से  पंद्रह वर्षों तक वे सभी कार्य अंग्रेजी में भी होगे जो संविधान लागु होने से पहले होते आये है |

       उसके बाद भी संघ प्रयोजन विशेष के आधार पर अंग्रेज़ी का प्रयोग कर सकता है|

       संविधान लागु होने के पांच वर्ष बाद एवं एवं दस वर्ष बाद पुनः एक आयोग बनाया जायेगा , जो हिन्दी के प्रयोग को कैसे बढ़ाया जाये इसकी सिफारिश करेगा|  इसकी स्थापना राष्ट्रपति करेंगे |

       राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 344 के तहत शक्ति का प्रयोग करके 1955 राज्य भाषा आयोग का गठन किया जिसके  अध्यक्ष श्री बालासाहेब गंगाधर खेर थे |

       संविधान के निर्देशित प्रथम राजभाषा आयोग (1955) की रिपोर्ट के समीक्षा लिए गठित राजभाषा संसदीय समिति के अध्यक्ष पं.गोविन्द वल्लभ पंत थे |( समिति में 30 सदस्य थे, जिनमें 20 लोक सभा से 10 राज्य सभा से  )

       अनुच्छेद 345से अनुच्छेद 347 तक क्षेत्रीय भाषा के बारें में बताया गया है |

       अनुच्छेद 345 में बताया गया है कि राज्यों की भाषा क्या होगी |

       अनुच्छेद 346 के अनुसार एक राज्य दुसरे राज्य से किस भाषा में संवाद करेगा एवं राज्य संघ से किस भाषा में संवाद करेगा |

       अनुच्छेद 347 में इस बात का उल्लेख है कि किसी राज्य की जनसंख्या का  बड़ा समूह जिस भाषा को बोलता  उसके साथ कैसा व्यवहार करेगा | 




       अनुच्छेद 348 इस ओर इंगित करता है कि न्यायालयों की भाषा क्या हो एवं अधिनियमों व अन्य विनिमय किस भाषा में पारित हो| | 
     

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