शनिवार, अप्रैल 18, 2020

जनसंचार भाग 3


       .टी. वी पर प्रसारित समाचार के विभिन्न रूप --- 
       फ्लैस या ब्रेकिग समाचार(न्यूज़ )बड़ी खबर को कम से कम शब्दों में दर्शकों तक पहुचाना जैसे लाल किले प्रधानमंत्री का भाषण ,राजीव गाँधी की  हत्या आदि|
       ड्राई एंकरसमाचार को एंकर दृश्य उपस्थित होने से पहले दर्शको को बताता है कि कहाँ, कब क्या ,कैसे घटना हुई |
       फोन इन— एंकर दर्शक को रिपोर्ट से फोन से बात करके समाचार देता है |रिपोर्टर घटना स्थल पर होता हैं  |
       एंकरविजुअल ----जब किसी घटना को घटना के दृश्यों के साथ दिखा कर घटना के बारे में एंकर के द्वारा पढ़ा जाता है तो वह  एंकर विजुअल है |
       एंकर बाइट----जब किसी घटना की सूचना के साथ घटना के प्रत्यक्षदर्शी या संबंधित व्यक्ति का कथन या बातचीत भी दिखलाई जाती है तो उसे  एंकर बाइट कहते है |
       लाइव --- घटना का सीधा प्रसारण किया जाता है |
       एंकर पैकेज में टीवी पत्रकारिता के सारे तत्व मैजूद रहते है |
       सामान्य लेखन कि जगह पर जब विशेष लेखन किया जाता है तो उसे पत्रकारिता कि भाषा में बिट कहते है जैसे खेल ,फ़िल्म आदि , विषय विशेषज्ञ एक किसी अलग स्थान में बैठ कर यह खबर  लिखते है जिसे डेस्क कहते हैं |
       जब किसी पत्रकार को किसी विषय कि गहराई पता हो अथार्त वह उस विषय का जानकर हो तथा वह उस क्षेत्र में बोलिजाने वाली भाषा का भी जानकर हो , तब वह जो वह रिपोर्टिग करता है वह  विशेषीकृत रिपोर्टिंग है जैसे खेल ,युद्ध सिनेमा आदि |इस के रिपोर्टर को विशेष संवाददाता कहते है |
       संपादन का अर्थ है किसी लिखित सामग्री को त्रुटीविहीन करके उसे पढ़ने योग्य बनाना होता है | संपादक मंडल में संपादक ,सहायक संपादक ,मुख्य संपादक ,समाचार संपादक ,मुख्य उपसंपादक आदि |
       संपादकजो खबरों को काट-छाट कर छपने योग्य बनाता है|संपादक रिपोर्टर केद्वारा दी गयी लिखित सामग्री को काटा छाट  कर ,अशुद्धियो को शुद्ध  करते है |
       संपादकीय --  किसी समाचार पत्र के सोच एवं विचार धारा के अनुसार जब संपादक या संपादक मंडल का सदस्य को लेख लिखता है तो वह संपादकीय है| संपादकीय लिखने वाले का नाम संपादकीय के बाद नही लिखा जाता है क्योकि यह समाचार पत्र कि राय होती है न कि संपादक की राय |
       संपादन के सिद्धांत --- तथ्यों कि शुद्धता---
          प्रमाणित तथ्यों (सामग्री ) के आधार पर खबर को लिखे ,
          उसे तोड़ मरोड़ के न  लिखे
           वस्तुपरकताघटना को उसी रूप में प्रस्तुत कि जाएँ जिस रूप में घटित हो उस में पत्र की विचारधारा के अनुसार झुकाव न हो |
           निष्पक्षता किसी घटना  को प्रस्तुत करते समय  घटना एवं आशय को किसी पक्ष में झुकाव न हो |
       हिन्दी का पहला समाचार पत्र उदंर्ड मार्तंड संपादक पंडित जुगल किशोर शुक्ला , सन १८२६ में |
       आजादी के पहले के पत्रकार भारतेंदु हरिश्चंद्र ,महात्मा गाँधी ,लोकमान्य  तिलक ,मदनमोहन मालवीय गणेश शंकर विद्यार्थी
       आजादी के बाद के पत्रकार --  अज्ञेय ,धर्मवीर भारतीय ,रघुवीर सहाय
       आजादी के पहले कि पत्रिका हंस , कर्मवीर ,आज ,प्रदीप आदि
       आजादी के बाद कि पत्रिकानव भारत टाइम्स ,जनसत्ता ,अमर उजाला आदि
       समाचार एजेंसिया पी टी आई (प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इण्डिया ),भाषा ,यू.एन.आई .(यूनीवार्ता ) ये एजेंसिया ही समाचार देने के लिए स्रोत है |
       भारत का पहला पत्र बंगाल  बजट है जिसके संपादक  जेम्स आगस्टा था
       पत्रकार कि बैसाखियाँ सच्चाई ,संतुलन ,निष्पक्षता ,स्पष्टता |
       सिनेमा का अविष्कारक थामस अल्वा एडिसन को कहाँ जाता है और  यह १८८३ में  मिनेटिस्कोप कि खोज के साथ है
       १८९४ में फ्रांस में पहली फ़िल्म बनी THE ARRIVAL OF TRAIN |
       भारत कि पहली फिल्म 1913  में दादा साहेब के द्वारा राजा हरीशचंद्र  बनाई गयी |
       में पहली बोलती फ़िल्म आलम आरा आई |
       रेडियो का अविष्कारक जे मार्कोनी है जो इटली का  वैज्ञानिक था ||
       इंटरनेट पत्रकारिता : इंटरनेट पर समाचारों का प्रकाशन या
        आदान-प्रदान इंटरनेट पत्रकारिता कहलाता है। इंटरनेट
       पत्रकारिता दो रूपों में होती है। प्रथम- समाचार संप्रेषण के
        लिए नेट का प्रयोग करना । दूसरा- रिपोर्टर अपने समाचार
       को ई-मेल  द्वारा अन्यत्र भेजने    समाचार को संकलित करने  तथा  उसकी सत्यता, विश्वसनीयता सिद्ध करने तथा उसकी सत्यता, विश्वसनीयता सिद्ध करने के लिए  करता है।
इंटरनेट पत्रकारिता का इतिहास:
          विश्व-स्तर पर इंटरनेट पत्रकारिता का विकास
       निम्नलिखित चरणों में हुआ-
           (१) प्रथम चरण------- १९८२ से १९९२
           (२) द्वितीय चरण------- १९९३ से २००१
           (३) तृतीय चरण------- २००२ से अब तक
       भारत में इंटरनेट पत्रकारिता का पहला चरण १९९३ से तथा दूसरा चरण  २००३ से शुरू माना जाता है। भारत में सच्चे अर्थों में वेब
       पत्रकारिता करने वाली साइटें रीडिफ़ डॉट कॉम’, इंडिया इफ़ोलाइन’ व सीफ़ीहैं । रीडिफ़ को भारत की पहली साइट कहा जाता है ।


         वेब साइट पर विशुद्ध पत्रकारिता  शुरू करने का श्रेय  तहलका डॉट्कॉमको जाता है।
       हिंदी में नेट पत्रकारिता वेब दुनियाके साथ शुरू हुई। यह हिन्दी का संपूर्ण पोर्टल है।  प्रभा साक्षी  नाम का अखबार  प्रिंट रूप में  न होकर सिर्फ़ नेट पर ही उपलब्ध है। आज पत्रकारिता के लिहाज से हिन्दी की सर्व श्रेष्ठ साइट बीबीसी की है, जो इंटरनेट  के मानदंडों के अनुसार चल रही है। हिन्दी वेब जगत में अनुभूति’, अभिव्यक्ति, हिन्दी नेस्ट, सराय आदि साहित्यिक पत्रिकाएँ भी अच्छा काम कर रही हैं।  अभी हिन्दी वेब जगत की सबसे बडी़ समस्या मानक की बोर्ड तथा फ़ोंट  की है ।  डायनमिक फ़ौंट  के अभाव के कारण हिन्दी की ज्यादातर साइटें खुलती ही नहीं हैं ।
        1930 में भारत में आल इण्डिया रेडियो कि स्थापना|
1997 में  प्रसार भारती कि स्थापना कर इसके अधीन रेडियो और दूरदर्शन को दे  दिया गया

कोई टिप्पणी नहीं:

संज्ञा और उसके भेद

संज्ञा और उसके भेद | Hindi Grammar Explained 📘 संज्ञा और उसके भेद (Noun and Its Types) परिभाषा: जिस शब्द से किसी व्यक्ति...