शनिवार, अप्रैल 18, 2020

उपसर्ग

उपसर्ग शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है |पहला शब्द है उप जिसका अर्थ है समीप और दूसरा शब्द है सर्ग जिसका अर्थ सृजन | उपसर्ग लगाने से अर्थ में या शब्द की विशेषता में परिवर्तन हो जाता है| जैसे मान शब्द का अर्थ होता है सम्मान  परन्तु मान शब्द के पहले अप उपसर्ग लगाने पर शब्द बनता है अपमान { इज्जत न करना} अर्थात शब्द के में पूर्णत: परिवर्तन हो गया |


हिन्दी भाषा में तीन प्रकार के  उपसर्गों का  प्रयोग किया जाता है |
१ संस्कृत के  उपसर्ग
२ हिन्दी के उपसर्ग
3 उर्दू और फारसी भाषा के उपसर्ग
           उपसर्ग 
           अर्थ(उपसर्ग को  लगानेपर होने वाले परिवर्तन )       
             शब्द निर्माण 
    अति
             
    अधिक,सीमा से परे ऊपर 


       अतिकाल(कुसमय), अत्यन्त,अत्याचार ,अत्युत्पादन(अधिक उत्पादन )अतिजीवन 
    अधि  
    ऊपर,स्थान में श्रेष्ठ
    अध्यात्म(अधि+आत्मा),अधिलाभ (अतिरिक लाभ )
     अनु
      पीछे, समान              
       अनुक्रम(एक के बाद एक ),अनुचर(साथी ) ,अनुस्वार,अनुरूप ,अनुभाग ( छोटा भाग )
    अप                     
          ,आभाव, बुरा हीन विरुद्ध 
        अपकीर्ति( अपयश,बदनामी),अपभ्रंश( विकति ,अपसव्य(उलता  ,अपहरण,अपहरण 
    अभि
      नीचे,पास,सामने       
        अभिमुख,अभिलाषा,अभिसार,
        अभ्यास,अभ्युदय(अभि+उदय)
     अव
    नीचे, हीन,अभाव ,
        अवगत,अवस्था,
    आ
    तक,ओर, समेत,उल्टा    
    आकर्षण,आरम्भ,आकार
     आलम
    यथेष्ट,पर्याप्त
    अलंकार, अलंकृत
     आविर 
    प्रकट ,बाहिर
      आविर्भाव,आविष्करण,आविष्कार,अविष्कृत
    उत,उद      
    ऊपर,अधिक ,ऊँचा      
    उत्कर्ष(वृद्धि ),उन्नति,उत्त्पन्न,उल्लेख
    उप              
         सदृश गौण,सहायक,निकट 
    उपकार,    उपदेश,उपयोग ,उपवेद,उपसम्पादक ,उपप्रधानमंत्री ,उपनिवेश
    तिरस     
    हीन,         तुच्छ
    तिरस्कार,तिरोहित( छिपा हुआ ),तिरोभाव अंतर्ध्यान 
    दूर,दुस
    बुरा,दुष्ट,कठिन          
    दूर्गम( जहाँ पहुंचना कठिन हो ),
    दुर्बोध्य (समझना कठिन हो )
    नि
     बहुत, नीचे,अलावा
    निकट,
    नि(निसनिर ) 
      बिना,बाहर ,निषेध
     निर्देश,नि:शब्द,नि:स्पृह (जिसे कोई आकांक्षा न हो )
     निरापद (जिस पर कोई आपत्ति नहो )
    परा   
    विपरीत,अनादर,उलटा 
    परार्द्ध,परावर्त पराजय



    परि
    चारो ओर,आसपास
     अतिशय त्याग 
    परिचय,परिसर,परिग्रह (आदर पूर्वक लेना ) परिक्रमा,परिवर्तन परिगणन
    प्र
    आगे,अधिक ,ऊपर,बडा     अंतर
    प्रकीर्ण प्रगति प्रजा,प्रचंड
    प्रति    
    विपरीत,समान              
    प्रतिकर(हर्जाना),प्रतिग्रह,प्रतिज्ञाप्रत्येक,परिवर्त्तन
    वि
    विशेष,रहित,       
          विपरीत भिन्न ,अभाव,
     विकंपन,विकेंद्रीकरण(एक केंद्र से हटाकर भिन्न भिन्न अंगों में बाँटन,विप्रलम्भ
    सम,सन
    संयोग, पूर्णता 
    सन्देह ,सम्पादक संस्कार,संचय,संशोधन
    सु 
    अच्छा,सरल ,सहज  सुन्दर   
      स्वागत,सुरक्षा,सुचिर (स्थायी ,पुराना)सुडौल सुतीक्ष्ण (बहुत तेज )सुमुखी ( सुन्दर मुख वाली )
     अ
    अभाव, निषेध
      अकर्म,अक्षम्य( जिसे क्षमा न कर सके )असंगित,अनैतिक अगम (जो जल्दी समझ में न आए )
    अध
    आधा ,
    अधकच्चा,अधपका,अधमरा
    अध:
    नीचे,तले
    अधोमार्ग,अधोलोक.आधोहस्ताक्षरी
    उ
    अलग,बाहर
     उजाड़,उचक्का
    उन
    एक कम
    उनचास ,उनसठ
    औ   
    हीन,निषेध
    औगुन ,औघट
    कु
    ख़राब,हीनता
    कुयोग कुपूत
     दु
    बुरा ,हीन 
    दुकाल ,दुबला
    नि
     निषेध ,अभाव,रहित 
    निडर ,निर्लज्ज,निहंग
    बिन
     निषेध ,आभाव
    बिना देखा ,बिन खाया
    भर
    पूरा ,ठीक
    भर-पेट ,भर-दौड़ ,
    स
    साथ
    सरस ,सगोत्र सहास
    कम 
    थोड़ा ,बुरा या हीन
    कमअसल,कमबख्त( अभागा )कमहिम्मत( उत्साहहीन )
    खुश
    शुभ,अच्छा,प्रसन्न
    खुशामद(चापलूसी),खुशकिस्मत(भाग्यवान )
    ग़ैर
    भिन्न ,विरूद्ध
    ग़ैर-आबाद( निर्जन),ग़ैर-मुनासिब (अनुचित )
    ना   
    निषेध
    नालायक,नापसंद नाबालिग
    बद
    बुरा
    बद असल(बदमाश),बदकिस्मत( भाग्यहीन) बदअमली(राज्य का कुप्रबंध )
    ब,बा
    से,के साथ ,के अनुसार
    बदस्तूर( यथापूर्व),बखैर (कुशलपूर्वक )बनाम( के नाम से )
    बे
    बिना ,रहित
    बेदम ,बेधर्म ,बेरहम
    सर
    श्रेष्ठ ,मुख्य ,
    सरकार, सरगिरोह ( मंडली का मुखिया )सरताज ( शिरोमणि
    हम
    साथ रहने वाला
    हम उम्र ,हम साया ( पडोसी )




कोई टिप्पणी नहीं:

संज्ञा और उसके भेद

संज्ञा और उसके भेद | Hindi Grammar Explained 📘 संज्ञा और उसके भेद (Noun and Its Types) परिभाषा: जिस शब्द से किसी व्यक्ति...