§जहाँ
उपमेय और उपमान की समानता के कारण उपमेय में उपमान की सम्भावना या कल्पना की
जाए,वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है |
§वाचक-
मानो,मानहू,मनहु,मन,जानो,जानहु,जनु,निश्चय ,मेरे जान,इव
§
उस काल मानो क्रोध से तन काँपने उनका लगा |
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा |
जान
पड़ता नेत्र देख बड़े-बड़े |
हीरकों में गोल नीलम हैं जड़े ||
हीरकों में गोल नीलम हैं जड़े ||
पद्यरागों
से अधर मानों बने |मोतियों से दांत निर्मित
है घने ||
नित्य
ही नहाता क्षीर सिन्धु में कलाधर है ,
सुंदरी,नवानन
की समता की इच्छा से
चमचमाता
चंचल नयन,बिच घुन्घुट-पट झीन |
मनहूँ
सुरसरिता विमल जल उछरत जुग मीन ||
सोहत
ओढ़े पीत पट,स्याम सलोने गात |
मनौ
नीलमनि सैल पर,आतप परयौ प्रभात ||
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