मांगन मरण समान है ,मत कोई माँगों भीख ।
मांगन से मरना भला , यह सतगुरु की सीख।।
हीरा तहाँ न खोलिए , जहाँ कुंजड हाट।
बाँधों अपनी पोटरी, लागहु अपनी बाट।
तनपवित्र सेवा किये, धन पवित्र दिये दान ।
मन पवित्र हरि भजन से , इस विधि हो कल्याण।
तीर्थ गये से एक फल , संत मिलें फल चार ।
सत्य गुरु मिलें अनेक फल , कहे कबीर बिचार।
कबिरा नन्हें हो रहो जैसी नन्ही दूब।
सभी घास जल जायेंगे , दूब ख़ूब की ख़ूब ।
लीक पुरानी ना तज़े , कायर कुटिल कपूत
लीक पुरानी ना रहे , शायर सिंह सपूत।
खुल खेलो संसार में बाँधी न सक्के कोय।
जाक़ों राखें साइयाँ मारि न सक्के कोय।
मांगन से मरना भला , यह सतगुरु की सीख।।
हीरा तहाँ न खोलिए , जहाँ कुंजड हाट।
बाँधों अपनी पोटरी, लागहु अपनी बाट।
तनपवित्र सेवा किये, धन पवित्र दिये दान ।
मन पवित्र हरि भजन से , इस विधि हो कल्याण।
तीर्थ गये से एक फल , संत मिलें फल चार ।
सत्य गुरु मिलें अनेक फल , कहे कबीर बिचार।
कबिरा नन्हें हो रहो जैसी नन्ही दूब।
सभी घास जल जायेंगे , दूब ख़ूब की ख़ूब ।
लीक पुरानी ना तज़े , कायर कुटिल कपूत
लीक पुरानी ना रहे , शायर सिंह सपूत।
खुल खेलो संसार में बाँधी न सक्के कोय।
जाक़ों राखें साइयाँ मारि न सक्के कोय।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें